तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने पहलगाम आतंकी हमले को सुरक्षा चूक का परिणाम बताते हुए इसे नृशंस हत्या की घटना करार दिया। उन्होंने सवाल किया कि इस चूक की जिम्मेदारी किसकी है और क्या गृहमंत्री इसका जवाब देंगे। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या कभी इस घटना की सच्चाई सामने आ सकेगी और आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां आतंकवाद को बढ़ावा दे रही हैं। अनुच्छेद 370 को खत्म करने से पहले जनमत संग्रह कराना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर में पर्यटन पूरी तरह से ठप हो गया है और प्रधानमंत्री ट्रंप के दावे पर चुप क्यों हैं।
द्रमुक के एन आर इलांगो ने कहा कि बाहरी और भीतरी दोनों आतंकवाद खतरनाक हैं। विपक्ष चाहता है कि सरकार स्पष्ट रूप से कहे कि ट्रंप का दावा गलत है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि राफेल विमान इस कार्रवाई में गिरा है तो उसकी क्षमता पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने मारे गए तीन आतंकवादियों की सच्चाई देश के सामने लाने की मांग की।
तेलुगु देशम पार्टी के मस्तान राव यादव बीधा ने कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीर में पर्यटन गतिविधियों को रोकने के लिए पहलगाम हमला किया। उन्होंने सुझाव दिया कि ऑपरेशन सिंदूर से सबक लेते हुए रक्षा बजट बढ़ाया जाना चाहिए ताकि सशस्त्र बलों को और आधुनिक बनाया जा सके।
बीजू जनता दल के मानस रंजन मंगराज ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राजद के मनोज झा ने कहा कि पहलगाम हमला सामूहिक पीड़ा थी और यह सवाल उठता है कि पुलवामा से क्या सबक लिया गया। उन्होंने कहा कि वह किसी एक दल को दोष नहीं दे रहे बल्कि पूरा सदन यह स्वीकार करे कि इतिहास से हमने कोई सबक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल नारा नहीं, बल्कि कर्तव्य है। उन्होंने नेताओं से अपेक्षा की कि वे सेना की तरह निष्पक्ष रहें और सैन्य शौर्य का राजनीतिक लाभ न उठाएं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा देने की मांग की और सदन से ट्रंप के दावे को असत्य करार देने वाला प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया।