Arvind Kejriwal की मुश्किलें बढ़ीं: CVC ने ‘शीश महल’ की जांच के दिए आदेश!

By Editor
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Arvind Kejriwal

दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की मुश्किलें बढ़ीं: सीवीसी ने आवासीय खर्च की जांच के आदेश दिए

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सत्ता से विदाई के साथ ही दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने उनके सरकारी आवास रहे 6 फ्लैगस्टाफ रोड बंगले के रेनोवेशन पर हुए खर्च की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। सीवीसी ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) से इस मामले में तथ्यों की जांच करने को कहा है, जहां आरोप हैं कि आलीशन बंगले के निर्माण के लिए भवन निर्माण नियमों का उल्लंघन किया गया।

सीवीसी ने क्यों शुरू की जांच?

सीवीसी ने 13 फरवरी को इस मामले की जांच का आदेश दिया, जब भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने 6 फ्लैगस्टाफ रोड स्थित मुख्यमंत्री के आवास पर फैक्टुअल रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। गुप्ता ने आरोप लगाया था कि Arvind Kejriwal ने इस आलीशान भवन के निर्माण के लिए कई नियमों का उल्लंघन किया।

उनका कहना था कि 40,000 वर्ग गज में फैले इस भवन के निर्माण में न केवल ग्राउंड कवरेज और फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) के मानदंडों का उल्लंघन हुआ, बल्कि उचित लेआउट प्लान का भी पालन नहीं किया गया।

भव्य निर्माण और सरकारी संपत्ति का उल्लंघन

गुप्ता ने अपनी शिकायत में यह आरोप भी लगाया था कि केजरीवाल के आवास का निर्माण राजपुर रोड पर स्थित दो सरकारी संपत्तियों को तोड़कर किया गया। ये संपत्तियां पहले उच्च सरकारी अधिकारियों और न्यायाधीशों के लिए आवास के रूप में इस्तेमाल होती थीं। शिकायत में यह कहा गया कि इन संपत्तियों का मिलाकर नए आवास का निर्माण किया गया, जो नियमों के खिलाफ है।

फिजूलखर्ची और भ्रष्टाचार के आरोप

इसके अतिरिक्त, गुप्ता ने Arvind Kejriwal द्वारा अपने सरकारी आवास के लिए किए गए रेनोवेशन और इंटीरियर डेकोरेशन पर फिजूलखर्ची का भी आरोप लगाया। उन्होंने सीवीसी को दी अपनी शिकायत में कहा कि इस खर्च ने करदाताओं के करोड़ों रुपये बर्बाद किए। उनका आरोप था कि विलासिता की वस्तुओं पर खर्च की गई रकम उचित सीमा से बहुत अधिक थी, जिससे भ्रष्टाचार की गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं।

केंद्रीय सतर्कता आयोग का जांच आदेश

Arvind Kejriwal: 16 अक्टूबर 2024 को सीवीसी ने इस मामले में शिकायत दर्ज की थी और उसे सीपीडब्ल्यूडी को भेज दिया था। इसके बाद, नवंबर 2024 में सीवीसी ने मामले की और जांच के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। अब 13 फरवरी 2025 को, सीवीसी ने फैक्टुअल रिपोर्ट की जांच के आधार पर उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। इस मामले में केंद्र सरकार की भूमिका और जवाबदेही को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

विजेंद्र गुप्ता की शिकायत: भ्रष्टाचार और फिजूलखर्ची का आरोप

Arvind Kejriwal: भा.ज.पा. नेता विजेंद्र गुप्ता ने अपनी शिकायत में केजरीवाल के सरकारी आवास के पुनर्निर्माण पर किए गए खर्च को लेकर गंभीर आरोप लगाए। गुप्ता का कहना था कि मुख्यमंत्री आवास पर खर्च की गई रकम को लेकर वित्तीय अनियमितताएँ साफ नजर आती हैं। उनका कहना है कि इस खर्च को लेकर भ्रष्टाचार के संकेत भी मिल रहे हैं, जिससे उनके आरोप और भी मजबूत होते हैं।

सीपीडब्ल्यूडी की भूमिका और सख्त जांच की आवश्यकता

Arvind Kejriwal: सीपीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट के बाद अब सीवीसी ने सख्त जांच के आदेश दिए हैं। यह देखा जाएगा कि क्या वास्तुकला और निर्माण के सभी मानक पूरे किए गए थे या फिर नियमों की अनदेखी की गई थी। इसके अलावा, सीवीसी को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इस मामले में कोई वित्तीय गड़बड़ी हुई है या नहीं, और अगर ऐसा हुआ है तो उसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी।

सत्तारूढ़ सरकार की बढ़ती मुश्किलें

Arvind Kejriwal और उनकी पार्टी के लिए यह एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन गई है, क्योंकि अब उनकी कार्यशैली और निर्णयों की जांच की जा रही है। भाजपा और विपक्षी दल इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं, जबकि आम आदमी पार्टी ने इसे राजनीति से प्रेरित आरोप बताया है। हालांकि, सीवीसी की जांच के बाद ही इस मामले में वास्तविक तस्वीर साफ हो सकेगी।

भविष्य की संभावनाएँ

Arvind Kejriwal के लिए आने वाले दिनों में यह मामला और भी जटिल हो सकता है, क्योंकि यदि सीवीसी की जांच में फिजूलखर्ची या नियमों का उल्लंघन साबित हुआ, तो इसे एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला माना जा सकता है। इससे उनकी साख पर भी बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही, अगर जांच में उनकी सरकार पर दबाव बढ़ता है, तो राजनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर उनके लिए कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

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