Australia ने भारत को चौथे टेस्ट में 184 रनों से हराया, सीरीज में 2-1 की बढ़त बनाई
Australia ने भारत को चौथे टेस्ट मैच में 184 रनों से हराकर सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली। यह मैच एक रोमांचक संघर्ष बनकर सामने आया, जिसमें अंतिम सत्र में ऑस्ट्रेलिया ने पूरी तरह से पलड़ा पलट दिया और शानदार जीत दर्ज की।
चाय के समय भारत का स्कोर 112/3 था और ऋषभ पंत और यशस्वी जायसवाल क्रीज पर थे, जो मजबूत स्थिति में नजर आ रहे थे। दोनों बल्लेबाजों को विश्वास था कि वे मैच को बचा सकते हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने अंतिम सत्र में जोरदार वापसी की।
पंत एक बार फिर बड़ा शॉट खेलने के प्रयास में विकेट गंवा बैठे। उनके आउट होते ही भारतीय टीम का मनोबल गिर गया और बाकी बल्लेबाज ताश के पत्तों की तरह गिरने लगे। भारत ने अपने आखिरी सात विकेट सिर्फ 34 रनों के भीतर खो दिए। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया।
मैच के दौरान, ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस ने शानदार कप्तानी की और गेंदबाजों को सही दिशा में सेट किया। जोश हेजलवुड, नाथन लायन और माइकल बोलैंड की गेंदबाजी ने भारतीय बल्लेबाजी क्रम को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। बोलैंड और लायन ने अपने शानदार प्रदर्शन से खेल को समापन की ओर पहुंचाया। लायन ने कड़े संघर्ष के बावजूद कई महत्वपूर्ण विकेट झटके, जबकि बोलैंड ने पंत के अहम विकेट के साथ मैच की दिशा बदल दी।
भारत के लिए यह एक निराशाजनक पराजय थी, खासकर तब जब टीम अच्छी स्थिति में थी। पंत और जायसवाल की साझेदारी ने मैच को संघर्षपूर्ण बना दिया था, लेकिन एक के बाद एक विकेटों के गिरने से टीम का संकल्प टूट गया। इस मैच में Australia गेंदबाजों ने दिखाया कि वे दबाव में खेलते हुए भी अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
Australia की मजबूती का कारण गेंदबाजों का संयोजन
Australia के गेंदबाजों ने टेस्ट मैच के निर्णायक क्षणों में अपनी छाप छोड़ी। नाथन लायन, जो मैच में अपनी फिरकी के लिए प्रसिद्ध हैं, ने भारतीय बल्लेबाजों को अपनी गेंदबाजी में उलझाया और उन्हें कोई बड़ा स्कोर बनाने का मौका नहीं दिया। लायन ने कुल पांच विकेट लिए और भारतीय टीम के खिलाफ अपनी महारत दिखाई। इसके अलावा, बोलैंड ने महत्वपूर्ण समय पर विकेट लेकर भारतीय बैटिंग लाइनअप को झकझोर दिया।
इस मैच की सबसे अहम बात यह थी कि ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय टीम को चाय के बाद दबाव में डाल दिया और उनका आत्मविश्वास तोड़ दिया। पंत, जो एक अनुभवी बल्लेबाज हैं, बड़ा शॉट खेलने के प्रयास में अपनी विकेट गंवा बैठे। इसके बाद तो जैसे भारतीय बल्लेबाजी लाइनअप में एक के बाद एक विकेट गिरते गए और टीम को 184 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
भारत के लिए अवसर और निराशा
भारत के लिए यह मैच एक बड़ा अवसर था, जिसे उन्होंने अपने हाथों से गवा दिया। चाय के समय तक मैच में भारतीय टीम मजबूत स्थिति में थी, लेकिन पंत और अन्य बल्लेबाजों के जल्दी आउट होने से ऑस्ट्रेलिया को जीतने का मौका मिल गया। भारत के लिए यह एक यादगार टेस्ट नहीं बन सका, हालांकि इस मैच से कई सीखें मिली हैं, जो उन्हें भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करेंगी।
आखिरी क्षणों में भारत के लिए सबसे निराशाजनक पहलू यह था कि उन्होंने सात विकेट सिर्फ 34 रनों में गंवा दिए, जिससे यह मैच उनके हाथ से पूरी तरह से निकल गया। इस तरह की स्थिति में टीम को ज्यादा सतर्क और रणनीतिक होना चाहिए था।
निरंतर दबाव बनाए रखने में ऑस्ट्रेलिया की सफलता
Australia ने इस मैच में अपनी रणनीति के हिसाब से दबाव बनाए रखा। जबकि भारतीय टीम ने कुछ अच्छे प्रयास किए, Australia के गेंदबाजों ने उसे लगातार चुनौती दी और अंत में मैच में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। Australia का यह दबदबा सिर्फ गेंदबाजों के कारण था, जिन्होंने समय-समय पर विकेट लिए और भारतीय बल्लेबाजी को तोड़ने का काम किया।
इस मैच ने यह साबित कर दिया कि एक टीम को तब तक जीतने का पूरा मौका नहीं मिलता, जब तक वे अंतिम विकेट तक मैच पर पूरी तरह से नियंत्रण न बना लें। ऑस्ट्रेलिया ने सही समय पर सही विकेट लेकर भारत को मुकाबला हारने पर मजबूर किया।
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