महाराष्ट्र में Baba Aadhav की भूख हड़ताल से बवाल, शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने की मनाने की कोशिश

By Editor
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Baba Aadhav

Baba Aadhav: महाराष्ट्र में भूख हड़ताल के कारण चर्चा में, ईवीएम पर उठा रहे सवाल

महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों एक बड़ा बवाल मचा हुआ है, और इस बवाल का केंद्र बन गए हैं पुणे के 95 वर्षीय समाजसेवी Baba Aadhav। बाबा आढव इन दिनों अपनी भूख हड़ताल के कारण सुर्खियों में हैं। उनका मुख्य मुद्दा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से संबंधित है, और उनका आरोप है कि महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे EVM में गड़बड़ी के कारण आए हैं। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने एक व्यापक आंदोलन शुरू किया है, जिसमें वे EVM के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और उनकी मांग है कि जब तक EVM को चुनाव प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

ईवीएम के खिलाफ आंदोलन का कारण

Baba Aadhav का मानना है कि हाल ही में हुए महाराष्ट्र चुनावों में धन और सत्ता के प्रभाव ने चुनाव प्रक्रिया को बुरी तरह से प्रभावित किया है। उनका आरोप है कि EVM के माध्यम से नतीजे प्रभावित किए गए हैं। आढव का कहना है कि जब से ईवीएम का इस्तेमाल शुरू हुआ है, तब से चुनावी परिणामों में अनहोनी घटनाएं सामने आई हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल शुरू की, जिसमें उनका कहना था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे पानी भी नहीं पिएंगे।

Baba Aadhav का सामाजिक योगदान और आंदोलन

Baba Aadhav का जीवन एक लंबी और प्रेरणादायक यात्रा का प्रतीक है। उनका जन्म 1 जून 1930 को हुआ था, और उन्होंने अपना अधिकांश जीवन समाज सेवा और आंदोलनों के लिए समर्पित किया है। उन्होंने 1943 से 1950 तक राष्ट्र सेवा दल के संयोजक के रूप में काम किया, और 1952 में महंगाई के खिलाफ सत्याग्रह में भाग लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें पहली बार जेल जाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने कई आंदोलनों का हिस्सा बनकर समाज के विभिन्न मुद्दों पर काम किया।

Baba Aadhav ने 1953 में नाना पेठ में एक दवा की दुकान खोली और 1957 में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके अलावा, उन्होंने बुजुर्गों को साक्षर बनाने के लिए कई अभियान चलाए और झोपड़ी संघ की स्थापना की। उनका एक और महत्वपूर्ण आंदोलन था ‘एक गांव, एक जल’ आंदोलन, जो महाराष्ट्र के कई इलाकों में पानी की समस्या को हल करने में सहायक साबित हुआ।

राजनीति में आकर संघर्ष

Baba Aadhav ने 1961 में राजनीति में कदम रखा और 1967 तक पुणे नगर निगम के लिए नाना पेठ निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। हालांकि उन्होंने मेयर का चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ एक वोट से हार गए और बाद में इस्तीफा दे दिया। इसके बावजूद, उन्होंने समाज के मुद्दों को उठाते हुए राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया।

भिवंडी दंगे और मराठवाड़ा भूकंप

1984 में भिवंडी दंगे और मराठवाड़ा भूकंप के बाद Baba Aadhav ने इन घटनाओं के पीड़ितों के लिए संघर्ष किया और कई अभियानों के माध्यम से राहत राशि जुटाई। पुणे में उन्होंने ‘रिक्शा पंचायत’ बनाई, जिसमें 50,000 ऑटो ड्राइवरों को एकजुट किया, जिससे संसद को एक बिल पास करना पड़ा।

क्यों चर्चा में आए बाबा आढव?

Baba Aadhav का नाम इन दिनों महाराष्ट्र के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में जोर-शोर से लिया जा रहा है, और इसका कारण है उनका EVM के खिलाफ आंदोलन। महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों से वे बेहद नाराज हैं और उनका मानना है कि EVM ने चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया है। उनके अनुसार, इस चुनाव में धन और सत्ता का दुरुपयोग हुआ है, और इससे चुनाव के परिणामों पर गलत असर पड़ा है। उन्होंने इस आंदोलन को भूख हड़ताल के रूप में किया है, जो पिछले तीन दिनों से जारी है।

राजनीतिक हस्तियों की प्रतिक्रिया

Baba Aadhav के आंदोलन को लेकर महाराष्ट्र के प्रमुख राजनीतिक नेता भी सक्रिय हो गए हैं। राज्य के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार, शिवसेना के उद्धव ठाकरे और अजित पवार जैसे नेता उनकी भूख हड़ताल को लेकर चिंतित हैं और उन्हें मनाने के लिए पहुंचे हैं। हालांकि, Baba Aadhav का कहना है कि वे किसी प्रकार की धमकी या दबाव में आने वाले नहीं हैं। उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।

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