जयपुर में Bangladesh में हो रही हिंसा के खिलाफ रैली का आयोजन
जयपुर में Bangladesh में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा के खिलाफ एक भव्य रैली का आयोजन किया गया। हवामहल क्षेत्र के विधायक बाल मुकुंदाचार्य के नेतृत्व में इस रैली में संतों, महात्माओं और हिंदू संगठनों ने हिस्सा लिया और बांग्लादेश में बढ़ते धार्मिक उत्पीड़न को लेकर अपनी चिंता जताई। यह रैली राजस्थान के जयपुर शहर के बड़ी चौपड़ पर आयोजित की गई, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने Bangladesh में हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई और भारत सरकार से इस पर कठोर कदम उठाने की मांग की।
रैली में उठाए गए प्रमुख मुद्दे
रैली में सबसे प्रमुख मुद्दा Bangladesh में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा और अत्याचारों का था। संतों और महात्माओं ने बांग्लादेश में चल रही धार्मिक उत्पीड़न की घटनाओं पर अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने बताया कि वहां हिंदू समुदाय के लोग अपनी धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित हैं और उनके साथ नियमित रूप से हिंसक घटनाएं घटित हो रही हैं। रैली में शामिल नेताओं ने यह भी कहा कि इस हिंसा में जिहादी मानसिकता के लोग शामिल हैं, जिनकी कार्यप्रणाली केवल धार्मिक उन्माद फैलाने पर केंद्रित है।
“जात-पात की करो बिदाई, हम सब हिंदू भाई-भाई” जैसे नारे
रैली में हिंदू समुदाय के लोगों के बीच एकता और भाईचारे का संदेश देने के लिए नारे लगाए गए। “जात-पात की करो बिदाई, हम सब हिंदू भाई-भाई” जैसे नारे गूंजे, जो समाज में एकता और सद्भावना को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे थे। इन नारों के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि हिंदू समुदाय एकजुट है और जातिवाद की बजाय भाईचारे के सिद्धांतों पर चलने का संकल्प ले चुका है।
भारत में हिंदू समुदाय का गुस्सा
बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के कारण भारत में हिंदू समुदाय में गुस्सा साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। रैली में यह गुस्सा भी दिखाई दिया, जहां प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचारों पर चिंता व्यक्त की। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए और वहां पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए।
भारत सरकार से कार्रवाई की मांग
प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार से तत्काल कार्रवाई की अपील की। उन्होंने Bangladesh पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। प्रदर्शन में शामिल लोग तख्तियाँ उठाए हुए थे, जिन पर Bangladesh में हो रही हिंसा को रोकने के लिए भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की जा रही थी।
आरएसएस और हिंदू संगठनों की भूमिका
इस रैली में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), आरएसएस स्वयंसेवक, और अन्य हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया। इन संगठनों ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा के खिलाफ अपना विरोध प्रकट किया और सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की। आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने न केवल Bangladesh में हो रहे अत्याचारों को लेकर चिंता जताई, बल्कि हिंदू समाज में एकजुटता की भी बात की। उनका कहना था कि हिंदू समाज को एकजुट होकर दुनिया भर में हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
हिंसा के खिलाफ एकजुटता और शांतिपूर्ण प्रदर्शन
रैली के दौरान हिंसा की बजाय एकजुटता और शांति का संदेश दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताया और कोई भी उग्रता नहीं दिखाई। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य Bangladesh में हो रहे धार्मिक उत्पीड़न की ओर ध्यान आकर्षित करना और भारत सरकार से उचित कदम उठाने की मांग करना था।
संतों और महात्माओं की भूमिका
इस रैली में संतों और महात्माओं का भी महत्वपूर्ण योगदान था। वे इस रैली का हिस्सा बने और Bangladesh में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को लेकर अपनी धार्मिक चिंताओं को साझा किया। संतों का मानना था कि हर धर्म को अपनी आस्था के अनुसार जीने का अधिकार होना चाहिए और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को इस अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
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