Delhi विधानसभा चुनाव में भाजपा की 27 साल बाद सत्ता में वापसी, AAP का प्रदर्शन कमजोर
Delhi विधानसभा चुनाव के रुझान यह संकेत दे रहे हैं कि भाजपा लगभग 27 साल बाद Delhi में सत्ता में वापसी कर सकती है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 70 सीटों में से भाजपा 48 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) 22 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इस परिणाम के साथ भाजपा के लिए Delhi में एक नई राजनीतिक दिशा की संभावना बन रही है।
1993 के बाद फिर से Delhi में भाजपा का शासन?
1993 में भाजपा ने Delhi विधानसभा चुनावों में विजय प्राप्त की थी और सत्ता में आई थी। उस समय भाजपा ने 49 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद दिल्ली में भाजपा ने तीन मुख्यमंत्री बनाए थे। 2020 के विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार भाजपा के मजबूत प्रदर्शन ने दिल्ली में सत्ता की दिशा में बड़ा बदलाव संभावित कर दिया है।
इस बार के चुनाव में मतदान प्रतिशत 60.54% था, जो यह संकेत देता है कि जनता की भागीदारी काफी रही है। कुल मिलाकर, भाजपा को उम्मीद है कि वह इस बार अपनी पिछले अनुभवों से सीखते हुए दिल्ली की राजनीति में अपना दबदबा बना सकती है।
उमर अब्दुल्ला का तंज, AAP पर सवाल
Delhi चुनाव के रुझानों के बीच, जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर तंज कसा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “और लड़ो आपस में…”। यह टिप्पणी दिल्ली के राजनीतिक माहौल को लेकर उनके कटाक्ष का हिस्सा थी, जहां AAP और भाजपा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा रही है। अब्दुल्ला का यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया, और इसने दिल्ली चुनाव में पार्टी की स्थिति पर एक नई नजर डालने का मौका दिया।
एग्जिट पोल और चुनाव के आंकड़े: भाजपा को भारी उम्मीद
Delhi चुनाव से पहले विभिन्न एग्जिट पोल्स आए थे, जिनमें से 12 पोलों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान था, जबकि 2 पोलों में अरविंद केजरीवाल की सरकार बनने की संभावना जताई गई थी। यह अनुमान पूरी तरह से सही साबित होता हुआ नजर आ रहा है, जहां भाजपा 41 सीटों पर आगे है। वहीं, AAP ने 2020 के चुनावों में शानदार जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार उसका प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर दिख रहा है।
2020 के बाद AAP के लिए बड़ा झटका
2020 में, अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार Delhi के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, और उनकी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की थी। लेकिन हाल ही में शराब घोटाले में उनका नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा और उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस घटनाक्रम ने पार्टी को एक बड़ा राजनीतिक झटका दिया। हालांकि, केजरीवाल ने अपने इस्तीफे के बाद अपनी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन इस बार चुनावों में उनका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा।
केजरीवाल के इस्तीफे के बाद, पार्टी ने आतिशी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तुत किया था, लेकिन उनका यह कदम भी पार्टी को अपेक्षाकृत ज्यादा सीटों में विजय दिलाने में सफल नहीं हुआ।
भाजपा के लिए नई राजनीतिक राह
भाजपा की इस बार की जीत Delhi के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक नई राह दिखाती है। भाजपा ने लंबे समय तक दिल्ली में अपनी सत्ता बनाए रखने के बाद 2015 में AAP से हार का सामना किया था, लेकिन इस बार पार्टी ने कड़ी मेहनत और राजनीतिक रणनीति के जरिए फिर से अपना दबदबा बढ़ाया है।
Delhi चुनाव के परिणामों से भाजपा को उम्मीद है कि वह राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है, खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए। पार्टी के नेतृत्व में इस बार बदलाव और नई दिशा दिख रही है, जो भविष्य में और भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
Delhi में भविष्य: क्या होगा आगे?
Delhi के चुनाव परिणामों ने यह साफ कर दिया है कि भाजपा और AAP दोनों के लिए अब अगला कदम महत्वपूर्ण होगा। भाजपा के पास सत्ता में वापसी का एक बड़ा मौका है, लेकिन इसे बनाए रखने के लिए पार्टी को दिल्ली की जनता के विश्वास को और भी मजबूत करना होगा। वहीं, AAP के लिए यह चुनाव एक कड़ा झटका है, और पार्टी को अपनी रणनीतियों में बदलाव की जरूरत हो सकती है।
Delhi के चुनावों का यह परिणाम राजनीतिक दृष्टिकोण से कई सवाल उठाता है, जिसमें प्रमुख सवाल यह है कि भाजपा की वापसी के बाद दिल्ली की राजनीतिक दिशा क्या होगी और क्या AAP इस चुनौती का सामना कर पाएगी?
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