राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने राजस्थान के मॉडल गाँव पिपलांत्री में आयोजित पर्यावरण महोत्सव-2025 में भाग लिया। जब वे गाँव पहुँचे, तो बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी नवजात बेटियों के साथ उनका स्वागत करने पहुंचीं। राज्यपाल ने बच्चियों को स्नेह और आशीर्वाद दिया।
जल ग्रहण प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि श्याम सुंदर पालीवाल (पद्मश्री) और उनकी टीम की मेहनत से पिपलांत्री आज हरियाली से आच्छादित है। उन्होंने कहा कि यह 19 वर्षों के अथक प्रयास, बेटियों के जन्म पर 111 पौधे लगाने की प्रेरक परंपरा और ग्रामीणों की समर्पित भागीदारी का परिणाम है कि आज यह गांव पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है।
राज्यपाल ने कहा कि राजस्थान की हर तहसील में पिपलांत्री जैसा एक गांव होना चाहिए। उन्होंने बिश्नोई समाज के बलिदान को याद करते हुए अमृता देवी को श्रद्धांजलि दी और बेटियों की शिक्षा को गरीबी से बाहर निकलने का सबसे बड़ा साधन बताया।
श्याम सुंदर पालीवाल ने बताया कि अब तक 14–15 लाख पौधे, जिनमें 1 लाख चंदन के पेड़ शामिल हैं, लगाए जा चुके हैं। एक समय पिपलांत्री में पानी का संकट था, लेकिन जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन से अब भूजल स्तर बढ़ चुका है। गाँव अब ईको टूरिज्म, डेयरी व्यवसाय और स्थानीय रोजगार का केंद्र बन चुका है, जिससे पलायन बंद हुआ है।
कार्यक्रम में बच्चियों ने राज्यपाल की कलाई पर राखी बाँधी। राज्यपाल ने पीपल का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। नवजात बच्चियों की माताओं ने उनकी स्मृति में पौधे लगाए। यह राज्यपाल बागडे का दूसरा दौरा था पिपलांत्री गाँव का।
इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राघवेंद्र काछवाल ने बताया कि 5 अप्रैल को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई सहित उच्चतम और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी पिपलांत्री आए थे और इस मॉडल की मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी।