बंदरों का बढ़ता आतंक: हर घर बना भय का अड्डा, ग्रामीणों में दहशत — वन विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल

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लगातार हमलों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग घायल; ग्रामीण बोले— प्रशासन कार्रवाई करे, वरना होगा बड़ा हादसा

पादूकलां: कस्बे और आसपास के ग्रामीण इलाकों में बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। लाल और काले मुंह वाले बंदरों के झुंड अब गलियों, छतों और खेतों में बेखौफ घूमते नजर आते हैं। महिलाओं को छत पर कपड़े सुखाने से डर लगता है, वहीं बच्चों को बाहर भेजना खतरे से खाली नहीं रहा।

स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में बंदरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। कई बार ये बंदर युवाओं, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों पर हमला कर चुके हैं, जिनमें कई घायल भी हुए हैं। इसके बावजूद वन विभाग और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत करने पर अधिकारी सिर्फ आश्वासन देकर चुप बैठ जाते हैं, जबकि बंदरों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।

घरों और खेतों को कर रहे नुकसान
ग्रामीणों ने बताया कि बंदर अब घरों में घुसकर अनाज, दूध, फल और सब्जियां तक उठा ले जाते हैं, वहीं खेतों में चना और गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान आर्थिक नुकसान से परेशान हैं और आमजन का दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

गांव के श्यामसुंदर, राकेश, दिनेश, सत्यनारायण और नौरत ने बताया कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो किसी बड़े हादसे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि गांव में बंदरों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए और ग्रामीणों को भय के इस माहौल से राहत दिलाई जाए।

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