विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि विधानसभा समितियाँ लोकतंत्र की पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन की रीढ़ हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि समितियों में सदस्यों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए वर्चुअल जुड़ाव की व्यवस्था की जाए और चयन में योग्यता को प्राथमिकता दी जाए।
भोपाल में आयोजित पीठासीन अधिकारियों की बैठक में देवनानी ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा गठित सात विधानसभा अध्यक्षों की समिति देशभर की समितियों का तुलनात्मक अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार कर रही है। अगली बैठक राजस्थान में आयोजित की जाएगी।
देवनानी ने कहा कि समितियों को चार-पाँच साल पुराने मामलों की बजाय हालिया विषयों पर ध्यान देना चाहिए ताकि उनके सुझाव उसी वर्ष के बजट में शामिल हो सकें। उन्होंने समितियों की रिपोर्ट पर सदन में चर्चा कराने का भी प्रस्ताव रखा जिससे विधायकों की भागीदारी और जवाबदेही बढ़े।
उन्होंने बताया कि राजस्थान विधानसभा में 17 समितियाँ कार्यरत हैं, जिनमें कुछ का पुनर्गठन कर उन्हें अधिक सक्रिय बनाया गया है। समितियों की गोपनीयता बनाए रखते हुए ऑनलाइन बैठकें आयोजित करने पर भी विचार किया जा रहा है।
राजस्थान में पहली बार ‘सामान्य प्रयोजन समिति’ का गठन किया गया है जो सभी समितियों की गतिविधियों की त्रैमासिक समीक्षा करती है। समिति सदस्यों की वार्षिक उपस्थिति के आधार पर पुनर्नियुक्ति का निर्णय लिया जाता है।
देवनानी ने कहा कि समितियाँ जनप्रतिनिधियों की आवाज़ को सुशासन में प्रभावशाली रूप से स्थापित करने का माध्यम हैं। बैठक के दौरान मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने देवनानी का स्वागत किया और राजस्थान के संदर्भ में चर्चा की।