भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष के आरोपों का सिलसिलेवार जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई को रोकने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल से 16 जून के बीच प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी।
जयशंकर ने कहा कि भारत की कूटनीति पूरी तरह सही दिशा में थी। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जर्मनी, फ्रांस, रूस और यूरोपीय संघ ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने बताया कि UNSC का बयान तब आया जब पाकिस्तान उसका सदस्य था और भारत नहीं।
उन्होंने भारतीय सेना की कार्रवाई को निर्णायक बताते हुए कहा कि बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकानों को सटीकता से ध्वस्त किया गया। उन्होंने कहा कि जो लोग सबूत मांगते हैं, वे यूट्यूब पर जाकर आतंकियों की अंत्येष्टि के दृश्य देख सकते हैं।
जयशंकर ने चीन-पाकिस्तान की नजदीकी को कांग्रेस सरकारों की नीतियों से जोड़ते हुए कहा कि यह एक दिन में नहीं हुआ। उन्होंने सिंधु जल संधि को लेकर नेहरू पर निशाना साधा और कहा कि उस समय पाकिस्तान के किसानों की चिंता ज्यादा की गई।
उन्होंने 33 देशों में भेजे गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों की भूमिका की सराहना की और कहा कि शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद, संजय झा, सुप्रिया सुले और श्रीकांत शिंदे जैसे सांसदों ने भारत का पक्ष मजबूती से रखा।