Jhalawar में ब्रेन डेड विष्णु प्रसाद के अंगदान से 8 लोगों को मिला नया जीवन, जयपुर और जोधपुर भेजे गए अंग

By Editor
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Jhalawar

Jhalawar में ब्रेन डेड विष्णु प्रसाद के अंगदान से 8 लोगों को मिला नया जीवन

Jhalawar जिले के पीपा धाम, मानपुरा निवासी विष्णु प्रसाद के अंगदान से 8 लोगों को नया जीवन मिला। विष्णु प्रसाद की मौत के बाद उनके अंगों को सफलतापूर्वक निकालकर एयर एंबुलेंस के जरिए जयपुर और जोधपुर भेजा गया। इस अनूठे और मानवीय पहल से न केवल उनके परिवार ने अंगदान के महत्व को समझा, बल्कि यह घटना क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा और अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

विष्णु प्रसाद का हादसा और अस्पताल में भर्ती

Jhalawar: विष्णु प्रसाद, जो कि Jhalawar शहर के समीप स्थित पीपा धाम, मानपुरा का रहने वाला था, 13 दिसंबर को एक झगड़े में गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे तत्काल Jhalawar के एस आर जी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। गंभीर हालत में उसे इमरजेंसी उपचार दिया गया, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज भेजने की योजना बनाई गई।

ब्रेन डेड की घोषणा और अंगदान की प्रक्रिया

Jhalawar: विष्णु प्रसाद की हालत लगातार बिगड़ती गई और डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इस स्थिति में, डॉक्टर राम सेवक योगी, जो कि Jhalawar मेडिकल कॉलेज में अंगदान के नोडल अधिकारी हैं, ने उच्च अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। इसके बाद, अंगदान को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि विष्णु प्रसाद के अंगों को तब तक जीवित रखा जाएगा जब तक अंगदान की प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न नहीं हो जाती।

अंगदान के लिए परिवार से सहमति

Jhalawar: विष्णु प्रसाद के ब्रेन डेड हो जाने के बाद मेडिकल टीम ने परिवार से अंगदान के बारे में चर्चा की और उन्हें समझाया। परिवार ने इस मानवीय कार्य में सहयोग करने का निर्णय लिया और अंगदान की सहमति दी। अंगदान के बाद, मेडिकल कॉलेज की अंगदान ऑप्टीमाइजेशन टीम ने विष्णु प्रसाद का एपनिया टेस्ट किया। 13 और 14 दिसंबर की रात को दो एपनिया टेस्ट किए गए, जिनमें अंगदान के लिए योग्य पाए जाने पर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया।

अंगदान की प्रक्रिया और भेजे गए अंग

Jhalawar: 14 दिसंबर की रात को, जयपुर के एसएमएस अस्पताल और जोधपुर के एम्स अस्पताल से अंगदान की टीम झालावाड़ मेडिकल कॉलेज पहुंची। टीम ने 15 दिसंबर की सुबह 6:00 बजे अंगदान की प्रक्रिया पूरी की। इस प्रक्रिया के दौरान, विष्णु प्रसाद की एक किडनी और लीवर जोधपुर के एम्स अस्पताल को भेजे गए। दूसरी किडनी, हार्ट और दोनों फेफड़े जयपुर के एसएमएस अस्पताल को पहुंचाए गए।

कॉर्निया का दान

Jhalawar: इसके अलावा, विष्णु प्रसाद की आंखों के दो कॉर्निया शाइन इंडिया फाउंडेशन को दान किए गए। इससे दो और लोगों को देखने की शक्ति मिल सकेगी, जो इस महत्वपूर्ण अंगदान के सबसे मानवीय पहलू को उजागर करता है।

आंगदान से मिले नए जीवन के अवसर

विष्णु प्रसाद के अंगदान के परिणामस्वरूप कुल आठ लोगों को नया जीवन मिल पाया। इनमें किडनी, हार्ट, लीवर, फेफड़े और कॉर्निया शामिल हैं। यह अंगदान न केवल विष्णु प्रसाद के परिवार के लिए एक सुकून का कारण बन रहा है, बल्कि इससे अंगदान के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। अंगदान के इस उदाहरण ने समाज को यह सिखाया कि एक व्यक्ति की मृत्यु से कई और जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

झालावाड़ में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ी

झालावाड़ में हुई विष्णु प्रसाद के अंगदान की घटना ने न केवल परिवार के लिए एक बड़ा कदम उठाया, बल्कि पूरे क्षेत्र में अंगदान के महत्व पर जोर दिया है। इस घटना ने यह साबित किया कि एक व्यक्ति के अंग दूसरे जरूरतमंद लोगों के जीवन को बचा सकते हैं। विष्णु प्रसाद के अंगों से 8 लोगों को नया जीवन मिला, जिसमें किडनी, हार्ट, फेफड़े, लीवर और कॉर्निया शामिल हैं।

इससे यह संदेश गया कि अंगदान किसी एक परिवार के लिए राहत का कारण बन सकता है, साथ ही समाज के अन्य लोगों के लिए भी यह एक अमूल्य उपहार साबित हो सकता है। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाई है और इसके महत्व को समझने के लिए लोगों को प्रेरित किया है। इससे यह सिद्ध हुआ कि एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उसका योगदान दूसरों की जिंदगियों में बदल सकता है।

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