‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल JPC के पास: अगर 2025 में पास हुआ तो एक साथ चुनाव कब होंगे?
JPC: केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद ‘एक देश-एक चुनाव’ की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाते हुए संविधान का 129वां संशोधन विधेयक और संबंधित एक अन्य विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। विपक्ष ने इसे तानाशाही करार देते हुए इन विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की मांग की। सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया और दोनों विधेयकों को जेपीसी में भेजने का निर्णय लिया।
संविधान संशोधन और JPC का गठन
संविधान में संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, जो इस बिल को संसद में पास करने के लिए जरूरी है। विपक्ष की इस मांग के मद्देनजर, दोनों विधेयकों को अब JPC के पास भेजा जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि जब बिल मंत्रिमंडल में विचार के लिए आया था, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जेपीसी में भेजने की बात कही थी। अब दोनों विधेयकों को JPC में भेजा जा रहा है, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे।
JPC में कौन सदस्य होगा, यह संसद में पार्टियों की ताकत के आधार पर तय किया जाएगा, जिससे सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के पास सबसे अधिक सदस्य और अध्यक्ष होने की संभावना है।
JPC की भूमिका और जिम्मेदारी
JPC को एक देश-एक चुनाव से संबंधित इस विधेयक पर गहन विचार करना होगा। विधेयक में संविधान के तीन अनुच्छेदों में परिवर्तन की पेशकश की गई है और एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। अनुच्छेद 82 में प्रस्तावित संशोधन के तहत, राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित तारीख पर परिसीमन के फैसले को लागू किया जाएगा। यह परिवर्तन जनगणना के बाद के परिसीमन से संबंधित है।
JPC को इस विधेयक के सभी पहलुओं पर गौर करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार करनी होगी, जो अगले कुछ महीनों में पूरी हो सकती है। यह प्रक्रिया समय ले सकती है, क्योंकि इसमें कई संवैधानिक और कानूनी बिंदुओं की समीक्षा करनी होगी।
JPC की रिपोर्ट कब आएगी?
संविधान का 129वां संशोधन और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयकों को अंतिम रूप देने में करीब दो साल का समय लग सकता है। इस स्थिति में, ये दोनों विधेयक 2026 में फिर से संसद में पेश हो सकते हैं। यदि बिल को विशेष बहुमत से पास कराया जाता है, तो इसके लागू होने के लिए निर्वाचन आयोग को पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी।
एक देश-एक चुनाव की तैयारी में कितना वक्त लगेगा?
अगर विधेयक संसद में पास होता है और इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलती है, तो निर्वाचन आयोग को 2029 में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी के लिए केवल दो साल का समय मिलेगा, जो पर्याप्त नहीं हो सकता। चुनाव आयोग को कम से कम 46 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की आवश्यकता होगी, जबकि वर्तमान में आयोग के पास सिर्फ 25 लाख ईवीएम हैं। इन मशीनों की एक्सपायरी 15 साल की होती है, जिसका मतलब है कि अगले दस साल में करीब 15 लाख मशीनों की उम्र पूरी हो जाएगी, और इस काम के लिए 10 साल का वक्त लग सकता है।
क्या कोई डेडलाइन तय है?
वर्तमान में इस विधेयक में कोई विशेष डेडलाइन नहीं है, जिसके तहत एक साथ चुनाव की तारीख तय हो सके। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने का अधिकार अपने पास रखा है, और राष्ट्रपति की अधिसूचना का समय भी अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। जब राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी की जाएगी, तब लोकसभा की पहली बैठक की तारीख तय की जाएगी।
विधेयक के पास होने के बाद क्या होगा?
यदि विधेयक पास हो जाता है और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलती है, तो इसके बाद 2029 के चुनावों के लिए तैयारियां शुरू होंगी। इसके बाद सभी विधानसभा चुनावों का कार्यकाल भी पूरा माना जाएगा, और एक साथ चुनाव कराए जाएंगे।
क्या 2034 की टाइमलाइन संभव है?
यदि संविधान संशोधन विधेयक 2025 के अंत तक पास हो जाता है, तो चुनाव आयोग को इसे लागू करने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी। मौजूदा संसाधनों और चुनावी व्यवस्था को देखते हुए, 2034 की टाइमलाइन मेल खाती है। चुनाव आयोग को ईवीएम की भारी संख्या की आवश्यकता होगी, और इन मशीनों के प्रबंधन में समय लगेगा। इसके अलावा, चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया के लिए अन्य आवश्यक तैयारियां करनी होंगी।
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