पुष्कर मेले की तैयारियां जोरों पर — रेतीले धोरों में ऊंटों-अश्वों की चहल-पहल, गगनचुंबी झूले बने आकर्षण

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22 अक्टूबर से शुरू होगा विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेला, 27 नवंबर तक चलेगा आयोजन — ऊंटों, अश्वों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजेगा मेला मैदान

पुष्कर: अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर पशु मेला 22 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। इसके साथ ही पुष्कर के रेतीले धोरों में चहल-पहल बढ़ने लगी है। पशुपालक जहां ऊंटों और अश्वों के आवागमन की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं मेलार्थियों और पर्यटकों की सुविधा को लेकर विभिन्न विभागों और व्यवसायियों ने भी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।

यह मेला 22 अक्टूबर से 27 नवंबर तक आयोजित होगा। इस दौरान पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं और पशुपालकों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी, जबकि पर्यटन विभाग की ओर से देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम होंगे। हालांकि देवस्थान विभाग द्वारा अभी तक कार्यक्रमों की सूची जारी नहीं की गई है। वहीं, जिला प्रशासन, उपखंड प्रशासन और पुलिस विभाग भी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।

रेतीले धोरों में ऊंटों की बढ़ी चहल-पहल
पुष्कर के रेतीले मैदानों में ऊंटों की आमद बढ़ गई है। राज्यभर से ऊंटपालक अपने ऊंटों को लेकर मेले में पहुंचने लगे हैं। कई पर्यटक इस दौरान ऊंट सफारी का भी आनंद ले रहे हैं। परंपरागत रूप से पुष्कर मेला ऊंटों के व्यापार के लिए जाना जाता है और इस बार भी बड़ी संख्या में ऊंटों के आने की संभावना है।

अश्वों के आलीशान अस्तबल तैयार
बीते कुछ वर्षों में मेले में अश्वों के व्यापार और प्रदर्शन की लोकप्रियता भी काफी बढ़ी है। राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से अश्वपालक यहां पहुंचते हैं। मेले में अश्वों के लिए अस्थायी और व्यवस्थित अस्तबल बनाए जा रहे हैं। कई पालक आलीशान टेंट लगाकर यहीं ठहरते हैं। एक-एक अश्व की कीमत लाखों रुपये तक पहुंचती है।

गगनचुंबी झूले और मनोरंजन आकर्षण का केंद्र
मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए दूर-दराज से आए झूले, चकरी और सर्कस संचालक अपने सेटअप को अंतिम रूप दे रहे हैं। कई गगनचुंबी झूले अब आसमान छूने लगे हैं, जिससे मेला क्षेत्र में रौनक दिखाई देने लगी है।

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