किसानों का ‘Rail Roko’ आंदोलन: विरोध की नई रणनीति में ट्रैक्टर मार्च और रेलवे ट्रैक जाम की तैयारी
पंजाब और अन्य राज्यों के किसान संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन के अगले चरण में उतर चुके हैं। 18 दिसंबर को पंजाब में ‘Rail Roko’ आंदोलन की घोषणा के साथ ही आज ट्रैक्टर मार्च भी निकाला जाएगा। यह आंदोलन किसान संगठनों के दोनों प्रमुख मंचों द्वारा आयोजित किया जा रहा है। पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा है कि इस ‘Rail Roko’ आंदोलन में 13,000 गांवों के लोगों को दोपहर 12 बजे रेलवे ट्रैक पर जाम लगाने के लिए बुलाया गया है।
किसानों की मांगें और आंदोलन का कारण
किसानों का ‘Rail Roko’ आंदोलन उनकी विभिन्न मांगों को लेकर किया जा रहा है। इनमें प्रमुख मांगें हैं:
- फसल के उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी।
- बिजली दरों में कमी।
- कर्ज माफी।
- खेती पर बढ़ते सरकारी नियंत्रण को समाप्त करना।
- प्राकृतिक आपदाओं के लिए मुआवजा।
‘Rail Roko’ आंदोलन की रणनीति
सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि पंजाब में ‘Rail Roko’ आंदोलन के लिए खास योजना बनाई गई है। रेलवे क्रॉसिंग के पास रहने वाले सभी लोगों से अपील की गई है कि वे इस आंदोलन का हिस्सा बनें। आंदोलनकारी किसान रेलवे ट्रैक पर दोपहर 12 बजे से ट्रेनों का आवागमन रोक देंगे।
ट्रैक्टर मार्च: आंदोलन का पहला चरण
‘Rail Roko’ आंदोलन से पहले किसानों ने आज पंजाब और अन्य राज्यों में ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। इस मार्च के जरिए किसानों का उद्देश्य अपनी एकजुटता और मजबूती को प्रदर्शित करना है। ट्रैक्टर मार्च में हजारों किसानों के शामिल होने की उम्मीद है। यह मार्च आने वाले दिनों में आंदोलन की दिशा तय करेगा।
‘Rail Roko’ आंदोलन का असर
‘Rail Roko’ आंदोलन से न केवल रेलवे सेवा प्रभावित होगी, बल्कि यह राज्य के परिवहन और आपूर्ति श्रृंखला पर भी प्रभाव डालेगा। ऐसे आंदोलन किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उजागर करने का माध्यम बनते हैं। इसके अलावा, यह आंदोलन सरकार पर दबाव डालने का एक बड़ा जरिया बन सकता है।
किसान संगठनों की अपील
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे दोनों किसान मंचों ने अपील की है कि सभी किसान और उनके समर्थक ‘रेल रोको’ आंदोलन में हिस्सा लें। सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “यह आंदोलन हमारी मांगों को लेकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का महत्वपूर्ण तरीका है। हम सभी को इसमें एकजुट होकर भाग लेना चाहिए।”
पिछले आंदोलनों की सफलता
किसानों का यह आंदोलन उनके पहले के सफल आंदोलनों से प्रेरणा ले रहा है। पिछले साल कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन ने देशभर में अपनी ताकत दिखाई थी। उस आंदोलन की सफलता ने किसानों को यह विश्वास दिलाया कि उनकी एकता और संघर्ष रंग ला सकता है।
Rail Roko आंदोलन से जुड़ी प्रमुख बातें
- तारीख: 18 दिसंबर, 2024
- समय: दोपहर 12 बजे
- स्थान: पंजाब के रेलवे क्रॉसिंग और प्रमुख रेलवे ट्रैक
- नेतृत्व: किसान संगठनों के दोनों प्रमुख मंच
सरकार की प्रतिक्रिया
फिलहाल, ‘Rail Roko’ आंदोलन को लेकर सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, पिछले आंदोलनों के दौरान सरकार ने किसानों के साथ कई दौर की बातचीत की थी। यह देखना बाकी है कि क्या सरकार इस बार किसानों की मांगों पर ध्यान देती है या आंदोलन को अनदेखा करती है।
आंदोलन के संभावित प्रभाव
- रेलवे सेवाओं पर असर: रेलवे ट्रैक जाम होने से ट्रेनों की आवाजाही बाधित होगी।
- आर्थिक नुकसान: माल ढुलाई में रुकावट से उद्योगों और व्यापार पर असर पड़ सकता है।
- सरकार पर दबाव: आंदोलन के बढ़ते प्रभाव से सरकार पर किसानों की मांगों को मानने का दबाव बढ़ेगा।
किसानों की एकता का प्रदर्शन
‘Rail Roko’ आंदोलन केवल विरोध का माध्यम नहीं है, बल्कि यह किसानों की एकता और संघर्ष का प्रतीक है। इस आंदोलन से यह संदेश जाता है कि किसान अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाने को तैयार हैं।