चार महीने की मेहनत, 44 लाख की लागत; एशिया और इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होने की तैयारी
कोटा: में मंगलवार की रात भारी बारिश हुई, जिससे शहर के कई कार्यक्रम प्रभावित हुए। लोग भीगने से बचने के लिए इधर-उधर भागते दिखे। लेकिन दशहरा मैदान में खड़ा विशाल रावण पुतला बारिश से अछूता रहा। आयोजकों ने कहा कि यह पूरी तरह वाटरप्रूफ है और 2 अक्टूबर को दशहरे पर इसका दहन किया जाएगा।
221 फीट ऊंचा रावण सोमवार (29 सितंबर) को क्रेन की मदद से खड़ा किया गया। इसे तैयार करने में करीब चार महीने लगे और खर्च आया लगभग 44 लाख रुपये। आयोजकों का दावा है कि कोटा का यह रावण एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होगा।
अब तक दिल्ली में 210 फीट का रिकॉर्ड था। 2019 में चंडीगढ़ में भी 221 फीट का पुतला तैयार हुआ था, लेकिन खड़ा नहीं हो पाया था। दिल्ली से आई टीम ने इस पुतले का मापन किया। लंबाई बढ़ने के कारण यह पहले की तुलना में पतला और शानदार दिख रहा है।
पुतले का चेहरा फाइबर ग्लास से बनाया गया है, जो 25 फीट लंबा और तीन क्विंटल वजनी है। इसके 60 फीट लंबे मुकुट में रंगीन एलईडी लाइटें लगी हैं, और ढाल पर भी लाइटें चमक रही हैं। रावण को लाल, हरे और नीले कपड़ों से सजाया गया है।
तलवार 50 फीट लंबी, जूतियां 40 फीट लंबी, और पुतले में 25 रिमोट कंट्रोल पॉइंट फिट किए गए हैं।
इस बार मेला प्रशासन ने दहन स्थल को विजयश्री रंगमंच से मैदान के पूर्व दिशा में स्थानांतरित किया। 26×24 फीट का आरसीसी फाउंडेशन बनाया गया, जिसमें आठ स्टील जैक वाली रोड और आठ लोहे की रस्सियों से पुतले को स्थिर किया गया। फिश प्लेट्स और नट-बोल्ट्स के जरिए इसे मजबूती दी गई, और खड़ा करने में 220 टन और 100 टन की हाइड्रोलिक क्रेन का इस्तेमाल हुआ।