किसान आंदोलन मामले में Supreme Court ने सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताई

By Editor
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Supreme Court ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता देने के मामले में सुनवाई 10 जनवरी तक टाली

Supreme Court ने सोमवार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता देने के मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई 10 जनवरी तक टाल दी। यह मामला पंजाब सरकार द्वारा डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करने में विफलता को लेकर था, जबकि वह 26 नवंबर से पंजाब-हरियाणा सीमा पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हुए हैं।

Supreme Court का सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताना:

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और एन के सिंह की पीठ ने पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा एक समिति के गठन और किसान नेताओं के बीच बातचीत के प्रस्ताव के बारे में सूचित किए जाने के बाद मामले पर सुनवाई को 10 जनवरी के लिए टाल दिया। पीठ ने मौखिक रूप से कहा, “हमें उम्मीद है कि इससे कुछ सकारात्मक निकलेगा।” Supreme Court की यह टिप्पणी इस बात का संकेत देती है कि अदालत को विश्वास है कि विभिन्न पक्षों के बीच बातचीत से इस मामले का समाधान निकाला जा सकता है।

किसान आंदोलन और डल्लेवाल का अनशन:

जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो कि पंजाब और हरियाणा के खनौरी सीमा पर 26 नवंबर से अनशन पर बैठे हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों के लिए पेंशन और कृषि ऋण माफी जैसी मांगों के समर्थन में अनशन कर रहे हैं। इसके अलावा, किसानों का मुख्य मुद्दा 2020-21 के दौरान हुए आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने का भी है।

डल्लेवाल की हालत को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न हुईं थीं, और 20 दिसंबर को Supreme Court ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करने का आदेश दिया था। हालांकि, जब यह आदेश लागू नहीं किया गया, तो अदालत ने पंजाब सरकार से अपनी नाराजगी व्यक्त की थी और अवमानना याचिका दायर की गई थी।

किसानों की अन्य प्रमुख मांगें:

किसान नेताओं के आंदोलन में कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी शामिल हैं। इनमें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का पालन, MSP की कानूनी गारंटी, किसानों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी और भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की बहाली की मांग की जा रही है। इसके अलावा, किसानों की यह भी मांग है कि 2020-21 के किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए। इन मुद्दों को लेकर किसान नेताओं ने कई बार सरकार के सामने अपनी बात रखी है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।

Supreme Court का पहल और समिति का गठन:

Supreme Court ने किसानों के मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति गठित की थी, जिसका नेतृत्व पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवाब सिंह कर रहे हैं। यह समिति किसानों की मांगों और संबंधित विवादों का समाधान निकालने के लिए बनी थी। न्यायमूर्ति नवाब सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने किसानों और सरकार के बीच संवाद स्थापित करने का प्रयास किया है।

पंजाब सरकार की भूमिका और अवमानना याचिका:

Supreme Court ने पंजाब सरकार को बार-बार आदेश दिए कि वह डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करे, लेकिन सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इस पर अदालत ने अपनी नाराजगी जताते हुए 2 जनवरी 2025 को पंजाब सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। अदालत ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार को डल्लेवाल की चिकित्सा स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए और उसका इलाज सुनिश्चित करना चाहिए।

इसके बाद, अवमानना याचिका दायर की गई, जिसमें पंजाब सरकार पर आरोप लगाया गया था कि उसने अदालत के आदेश का पालन नहीं किया। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए Supreme Court ने 6 जनवरी को मामले को 10 जनवरी के लिए स्थगित कर दिया।

संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य किसान संगठन:

किसान आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और किसान मजदूर मोर्चा जैसे गैर-राजनीतिक संगठनों द्वारा किया जा रहा है। ये संगठन पंजाब और हरियाणा के किसानों की मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। किसानों ने 13 फरवरी 2024 को पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर धरना देना शुरू किया था।

इस आंदोलन के दौरान, 101 किसानों का एक समूह ने दिल्ली मार्च करने की कोशिश की थी, लेकिन हरियाणा के सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया। हालांकि, आंदोलनकारियों ने अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रदर्शन किए और सरकार के साथ संवाद स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

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