सवाईमाधोपुर के रणथंभौर Tiger रिजर्व और उसके आसपास के क्षेत्रों में बाघों के हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। बीते डेढ़ महीने में तीन दर्दनाक घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें एक मासूम बच्चा, एक वन रेंजर और एक बुजुर्ग श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं। इन घटनाओं के बावजूद वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता कई सवाल खड़े कर रही है। न तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई हुई है और न ही आमजन की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस व्यवस्था की गई है।
Tiger Reserve: घटनाओं का सिलसिला जो थमता नहीं
21 अप्रैल से 9 जून के बीच हुए इन हमलों में एक मासूम बच्चा, एक रेंजर, और एक बुजुर्ग अपनी जान गंवा चुके हैं। 21 अप्रैल 2025 को त्रिनेत्र गणेश मार्ग पर मासूम कार्तिक की दर्दनाक मौत हुई थी। बाघिन ने श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच मासूम पर हमला किया। घटना के बाद लोगों में भारी आक्रोश फैल गया, लेकिन जिम्मेदार तंत्र मौन रहा। इसके बाद 12 मई को जोगी महल के पास वन रेंजर देवेंद्र सिंह पर बाघों ने हमला किया, जिसमें दो Tiger शावकों की आशंका जताई गई थी। और उसके बाद अब 9 जून को मंदिर परिसर के पास Tiger ने 60 वर्षीय मंदिर चौकीदार राधेश्याम सैनी पर हमला कर दिया जिससे उसकी मौके पर मोत हो गई।
अपने संसदीय क्षेत्र के रणथंभौर अभ्यारण में जैन मंदिर के बुजुर्ग चौकीदार श्री राधेश्याम सैनी की बाघ के हमले से मौत की घटना अत्यंत दुःखद है।
— Harish Chandra Meena (@HC_meenaMP) June 10, 2025
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और परिजनों को ये दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
पूर्व में वन विभाग के रेंजर श्री देवेंद्र चौधरी और बालक… pic.twitter.com/FC54W6Wa3T
Tiger Reserve: प्रशासन और विभाग पर उठते सवाल, ASI पर भी गंभीर आरोप
इन हमलों के बावजूद वन विभाग और जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस सुरक्षा रणनीति लागू नहीं की गई। अधिकारियों का ध्यान टूरिज्म और वीआईपी विजिट्स की मेहमाननवाज़ी में ही सीमित दिख रहा है। रणथंभौर के आसपास के क्षेत्रों में Tiger की बढ़ती आवाजाही के बावजूद न चेतावनी बोर्ड लगाए गए, न गश्त बढ़ाई गई और न ही श्रद्धालुओं को ट्रैकिंग या अलर्ट सिस्टम मुहैया कराया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) पर भी जिम्मेदारी से बचने और पर्यटन हितों को प्राथमिकता देने के आरोप लग रहे हैं। दुर्ग के अंदर Tiger के प्रवेश को रोकने के बजाय, दीवार की मरम्मत को जानबूझकर टाल दिया गया ताकि किला आमजनों और टूरिस्टों के लिए खुला रह सके। वहीं दूसरी ओर, अधिकारियों के लिए रेस्ट हाउस का निर्माण तेज़ी से चल रहा है, जिससे यह क्षेत्र अब एक ‘सैरगाह’ बनता जा रहा है।
Tiger Reserve: स्थानिय लोगों की क्या मांग ??
रणथंभौर जैसे संवेदनशील Tiger जोन में स्थायी सुरक्षा योजना लागू की जाए
श्रद्धालुओं और आमजन के लिए ट्रैकिंग ऐप्स और अलर्ट सिस्टम शुरू किए जाएं
रेंजर गश्त, निगरानी ड्रोन और CCTV नेटवर्क को मजबूत किया जाए
हमले की घटनाओं में जवाबदेही तय की जाए — लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई हो
स्थिति स्पष्ट है — जंगल में व्यवस्थाएं चरमरा चुकी हैं और ज़िम्मेदार तंत्र सोया हुआ है। अगर अब भी नहीं जागा गया, तो अगली घटना किस पर होगी — यह कहना मुश्किल है।
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