28 वर्षीय मनीष पांडे की संदिग्ध मौत के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप, न्यायिक जांच के आदेश, मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर सवाल
पुलिस हिरासत में मौत, 6 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर
जयपुर के Sadar police station क्षेत्र में हिरासत के दौरान हुई युवक मनीष पांडे की मौत के मामले में पुलिस कमिश्नर ने सख्त कदम उठाए हैं। थानाधिकारी सहित 2 सब-इंस्पेक्टर, 2 हैड कांस्टेबल और 1 कांस्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया गया है। मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं और पोस्टमार्टम मृतक के परिजनों के यूपी से आने के बाद किया जाएगा। बताया जा रहा है कि युवक को चोरी के आरोप में दो दिन से अवैध रूप से थाने में रखा गया था।
अवैध हिरासत और आत्महत्या पर उठे सवाल
मृतक मनीष पांडे (28) का शव थाने की लॉकअप में फांसी के फंदे से लटका मिला। हालांकि एफआईआर में उसकी गिरफ्तारी दर्ज नहीं थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसे बिना कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में रखा गया था। पुलिस का दावा है कि युवक नशे का आदी था, लेकिन मानवाधिकार संगठनों और परिजनों ने सवाल उठाए हैं कि हिरासत में रहते हुए युवक के पास फंदा कैसे पहुंचा? क्या थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे चालू थे? और परिजनों को हिरासत की जानकारी क्यों नहीं दी गई?
मुख्यमंत्री के हालिया दौरे के बावजूद थाने में बड़ी लापरवाही
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इसी Sadar police station का दौरा किया था और पुलिस सुधार व मानवाधिकारों को प्राथमिकता देने की बात कही थी। लेकिन उसी थाने में अवैध हिरासत और संदिग्ध आत्महत्या ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न सिर्फ मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर इशारा करती है, बल्कि पूरे राज्य की पुलिस व्यवस्था की जवाबदेही को भी कठघरे में खड़ा करती है।
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