Amit Shah का जम्मू कश्मीर के अलगाववाद पर बयान—”मोदी सरकार के तहत अलगाववाद की अंतिम सांसें”
केन्द्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने जम्मू कश्मीर में एक नई राजनीतिक दिशा का स्वागत किया है, जहां अलगाववादियों के दो प्रमुख गुटों—जम्मू-कश्मीर तहरीकी इस्तेकलाल और जम्मू-कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकामत—ने अपने पूर्व के अलगाववादी रुख को छोड़कर मुख्यधारा में विश्वास जताया है। ये गुट जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठनों हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े हुए थे, और उनके इस बदलाव को जम्मू कश्मीर में शांति और विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
अलगाववाद की परिभाषा में बदलाव—Amit Shah का स्वागत संदेश
गृह मंत्री Amit Shah ने इस निर्णय को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से अपनी खुशी और समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “मोदी सरकार के शासन में अलगाववाद अंतिम सांसें ले रहा है और पूरे कश्मीर में एकता की जीत की गूंज सुनाई दे रही है।” Amit Shah का यह बयान इस बात का संकेत है कि जम्मू कश्मीर में अलगाववाद की राजनीति अब लगभग समाप्त हो चुकी है और राज्य में शांति और एकता का माहौल बन रहा है।
Amit Shah ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि ये कदम जम्मू कश्मीर में विश्वास और समरसता को बढ़ावा देने वाला है। उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि भारतीय सरकार जम्मू कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता और अलगाववाद के खात्मे के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इससे यह साफ हो जाता है कि मोदी सरकार का जम्मू कश्मीर के मामले में दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है—वह राज्य में विकास, शांति और एकता की स्थापना के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
मुख्यधारा में लौटने का महत्व—कश्मीर में शांति की ओर एक कदम
जम्मू कश्मीर तहरीकी इस्तेकलाल और जम्मू कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकामत के इन गुटों के मुख्यधारा में लौटने को कश्मीर में शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। इन दोनों गुटों के अलगाववाद से तौबा करने और भारत के संविधान में विश्वास जताने का निर्णय न केवल कश्मीरियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, बल्कि यह राज्य में रहने वाले अन्य समुदायों के लिए भी उम्मीद की किरण बन सकता है।
अलगाववाद के विचारधारा को त्यागना कश्मीर के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ हो सकता है, जो दशकों से हिंसा, आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा था। जब कश्मीर के लोगों और संगठनों ने भारत की संप्रभुता और एकता को स्वीकार किया है, तो यह कश्मीर में समृद्धि और शांति के रास्ते खोल सकता है।
मोदी सरकार का दृष्टिकोण—कश्मीर में एकता और विकास की ओर
Amit Shah के अनुसार, मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर के मामलों में एक नया दृष्टिकोण अपनाया है। सरकार का उद्देश्य कश्मीर में शांति की स्थापना और विकास की प्रक्रिया को तेज करना है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद राज्य में नई उम्मीदों की लहर उठी है, और यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
Amit Shah ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने कश्मीर के लोगों के लिए कई विकासात्मक योजनाओं को लागू किया है, और उनके विश्वास को वापस लाने के लिए लगातार काम किया है। केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर के लिए कई योजनाओं का अनावरण किया गया है, जैसे कि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर, शैक्षिक संस्थानों का विस्तार, और कश्मीर की संस्कृति और धरोहर को संजोने के प्रयास। इसके साथ ही, आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है, जिसने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को मजबूत किया है।
अलगाववाद के अंत की ओर—कश्मीरियों की नई उम्मीदें
इस निर्णय के बाद, जम्मू कश्मीर में अब कश्मीरियों के सामने एक नया अवसर है—वह मुख्यधारा में आकर अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं। यह बदलाव न केवल राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने का संकेत है, बल्कि यह कश्मीर के युवाओं के लिए भी सकारात्मक अवसर पैदा कर सकता है। कई कश्मीरी युवा अब मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो सकते हैं, जो राज्य की राजनीतिक प्रक्रिया को और भी सशक्त बना सकता है।
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