Kejriwal ने योगी आदित्यनाथ से अमित शाह को क़ानून व्यवस्था सुधारने के लिए समझाने का किया आग्रह
दिल्ली के मुख्यमंत्री Kejriwal ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली की क़ानून व्यवस्था सुधारने के लिए समझाएं। Kejriwal का यह बयान उस समय आया जब योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में बिगड़ती क़ानून व्यवस्था के मुद्दे को उठाया और केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा। यह बयान दिल्ली के जनकपुरी में आयोजित एक रैली के दौरान योगी आदित्यनाथ ने दिया था, जिसमें उन्होंने दिल्ली की क़ानून व्यवस्था को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे।
योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली की क़ानून व्यवस्था पर उठाए सवाल
योगी आदित्यनाथ ने रैली में कहा था कि दिल्ली की क़ानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है और यह स्थिति पूरी दिल्ली में अराजकता का कारण बन रही है। उनका कहना था, “Kejriwal एंड कंपनी ने दिल्ली के अंदर अराजकता को बढ़ावा देने का काम किया है,” इस बयान से स्पष्ट था कि योगी आदित्यनाथ दिल्ली की क़ानून व्यवस्था को लेकर सरकार की आलोचना कर रहे थे।
योगी ने दिल्ली में गैंगवार, व्यापारियों से फिरौती मांगने, महिलाओं के लिए असुरक्षित माहौल और बच्चों के अपहरण के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि इन अपराधों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
Kejriwal ने योगी से की अपील, अमित शाह को समझाने की कही बात
यूपी के मुख्यमंत्री के बयान के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री Kejriwal ने प्रतिक्रिया दी और योगी आदित्यनाथ से एक अजीब सी अपील की। Kejriwal ने कहा, “योगी आदित्यनाथ सही कह रहे हैं कि दिल्ली की क़ानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है, लेकिन यह काम अमित शाह के हाथ में है। अगर योगी आदित्यनाथ क़ानून व्यवस्था को सुधारने के मामले में इतने सशक्त हैं, तो मुझे उनसे एक निवेदन है कि वह गृह मंत्री अमित शाह को समझाएं कि दिल्ली की क़ानून व्यवस्था को कैसे ठीक किया जाए।”
Kejriwal ने दिल्ली की क़ानून व्यवस्था के मुद्दे पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “दिल्ली में 11 गैंगस्टर खुलेआम घूम रहे हैं और उनके अपने-अपने गैंग हैं। व्यापारियों से फिरौती मांगी जा रही है और महिलाओं का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। हर रोज 17 बच्चों का अपहरण हो रहा है।”
Kejriwal ने यूपी की क़ानून व्यवस्था पर किया सवाल
हालांकि, Kejriwal ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि यूपी में क़ानून व्यवस्था कितनी सुधरी है, लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया कि योगी आदित्यनाथ के अनुसार, यूपी में क़ानून व्यवस्था सुधरी है। वहीं, उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर योगी आदित्यनाथ दिल्ली की क़ानून व्यवस्था को सुधारने के लिए मदद करना चाहते हैं, तो उन्हें अमित शाह को समझाना होगा, क्योंकि दिल्ली की सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था गृह मंत्रालय के अधीन है।
दिल्ली की क़ानून व्यवस्था की स्थिति और आम आदमी पार्टी
Kejriwal ने दिल्ली में बढ़ते अपराधों के बारे में अपनी चिंता जाहिर की है और दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना था कि दिल्ली में अपराधियों के मनोबल को बढ़ावा मिला है, जिससे आम लोगों का जीवन असुरक्षित हो गया है। Kejriwal ने यह भी कहा कि पुलिस को राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर कार्य करना चाहिए और उन्हें अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना चाहिए।
इसके अलावा, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अन्य क्षेत्रों में किए गए कामों का भी Kejriwal ने बचाव किया, लेकिन क़ानून व्यवस्था के मामले में उनकी बातों से यह साफ था कि वह केंद्र सरकार पर भी दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ का दावा – यूपी में क़ानून व्यवस्था में सुधार
योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था को सुधारने के लिए उन्होंने कड़े कदम उठाए हैं। उनके मुताबिक, यूपी में दंगों पर काबू पाया गया है और राज्य में सुरक्षित माहौल बना है। इसके अलावा, उनका कहना था कि यूपी की स्थिति में सुधार के चलते लोग अब वहां निवेश करने के लिए उत्सुक हैं, क्योंकि अब यह राज्य व्यापार के लिए भी सुरक्षित बन चुका है।
योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में अराजकता के माहौल को लेकर Kejriwal सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को क़ानून व्यवस्था के प्रति गंभीर होना चाहिए और इसमें सुधार लाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
राजनीतिक पंक्षियों के बीच तकरार
यह तकरार दिल्ली और यूपी के मुख्यमंत्री के बीच राजनीतिक असहमति की ओर इशारा करती है। जबकि एक ओर योगी आदित्यनाथ यूपी में क़ानून व्यवस्था सुधारने के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं, वहीं दूसरी ओर Kejriwal ने दिल्ली की क़ानून व्यवस्था को लेकर अपनी चिंता जाहिर की और गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में सक्रियता की अपील की है।
यह भी देखा जा सकता है कि दोनों नेताओं के बीच यह बयानबाजी आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकती है, क्योंकि दोनों ही राज्यों में आगामी चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं।
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