Mahakumbh 2025: 10 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Mahakumbh

प्रयागराज Mahakumbh 2025: 11वें दिन 10 करोड़ श्रद्धालुओं ने लिया अमृत स्नान

प्रयागराज में आयोजित Mahakumbh मेला 2025 ने आस्था के महासंगम के रूप में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। Mahakumbh के 11वें दिन, जब लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए जुटे, तो यह संख्या 10 करोड़ के करीब पहुंच गई।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष व्यवस्थाओं की निगरानी की, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रूप से स्नान कर सकें और उनकी आस्था को सम्मानित किया जा सके। Mahakumbh मेले का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक है, क्योंकि यह लाखों लोगों को एकजुट करता है और भारतीय धर्म और परंपरा का प्रतीक बनता है।

सीएम योगी की विशेष व्यवस्था और सुरक्षा इंतजाम

सीएम योगी आदित्यनाथ ने Mahakumbh के दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए संगम क्षेत्र में सुरक्षा और सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न उपाय किए थे। मौनी अमावस्या के दिन विशेष रूप से संगम में स्नान करने वालों की संख्या अधिक होने की उम्मीद थी, इसलिए इस दिन को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। अधिकारियों ने स्नान घाटों पर पुख्ता इंतजामों का संचालन किया, जिसमें बैरिकेडिंग, भीड़ नियंत्रण, चिकित्सा सुविधाएं, और जल पुलिस की तैनाती शामिल थी।

योगी सरकार ने Mahakumbh में श्रद्धालुओं के लिए जल, भोजन, और चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ ट्रैफिक व्यवस्था को भी पहले से बेहतर तरीके से संचालित किया। इस दौरान सुरक्षा बलों और पुलिस की कड़ी निगरानी में मेला क्षेत्र में कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटी, जिससे श्रद्धालुओं ने अपने धार्मिक कृत्यों को शांति से संपन्न किया।

Mahakumbh में बढ़ती श्रद्धालु संख्या: एक ऐतिहासिक दिन

Mahakumbh में स्नान का महत्व बहुत अधिक होता है, और यह अवसर विशेष रूप से पुण्य की प्राप्ति और पापों से मुक्ति के लिए माना जाता है। मौनी अमावस्या का दिन Mahakumbh मेले के सबसे प्रमुख स्नान पर्वों में से एक होता है। इस दिन, लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति पाने और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं। इस वर्ष, महाकुंभ में स्नान करने वालों की संख्या लगभग 10 करोड़ के आसपास पहुंच गई, जो एक अभूतपूर्व आंकड़ा है।

संगम क्षेत्र के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। लोग प्राचीन परंपराओं का पालन करते हुए और संगम में स्नान कर अपने पुण्य को बढ़ाने का प्रयास कर रहे थे। कई श्रद्धालु विभिन्न साधु संतों के मार्गदर्शन में धार्मिक अनुष्ठान भी कर रहे थे, जबकि कई भक्त अकेले ही अपने विश्वास के साथ स्नान कर रहे थे। यह दिन न केवल एक धार्मिक कार्य था, बल्कि भारतीय समाज की एकता और आस्था का प्रतीक भी था।

Mahakumbh के आयोजन का महत्व

Mahakumbh मेला भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है। यह मेला प्रत्येक 12 वर्षों में चार प्रमुख तीर्थ स्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है। महाकुंभ में स्नान करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इस मान्यता के कारण लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। इस समय के दौरान, न केवल हिंदू धर्म के अनुयायी, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इस आयोजन में भाग लेने आते हैं और इस भव्य धार्मिक पर्व का हिस्सा बनते हैं।

प्रयागराज का संगम, जो गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का मिलन स्थल है, को खास धार्मिक महत्व प्राप्त है। यहां स्नान करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति मानी जाती है। Mahakumbh में श्रद्धालुओं का यह विश्वास है कि यहां स्नान करने से उनकी आस्थाओं को बल मिलता है और वे जीवन के हर पहलु में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

संगम पर आस्था का अद्भुत दृश्य

Mahakumbh के दौरान संगम क्षेत्र में श्रद्धालुओं के अद्भुत आस्था का दृश्य देखने को मिलता है। हर कोई यहां अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए आता है। यहां के घाटों पर आस्था, विश्वास और श्रद्धा का संगम होता है। हर कोई यहां अपनी व्यक्तिगत मनोकामनाओं के साथ आता है और उम्मीद करता है कि इस दिव्य स्नान से उसके जीवन में एक नई रोशनी और दिशा मिलेगी।

Mahakumbh में स्नान के अलावा, साधू संतों, धार्मिक गुरुओं और संतों के प्रवचन भी होते हैं, जो श्रद्धालुओं को जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। इसके अलावा, भव्य मेलों का आयोजन होता है, जहां लोग विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनते हैं। Mahakumbh का यह मेला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि भारतीय समाज की सांस्कृतिक विविधता और एकता का भी प्रतीक है।

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