नागौर: जिले के रियाँबड़ी उपखंड के ग्राम भंवाल स्थित भंवाल माताजी मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। यहां नवरात्रा में माताजी के दो रूपों – ब्राह्मणी माताजी और माँ काली माताजी – की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। जहां ब्राह्मणी माताजी को नारियल और मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है, वहीं माँ काली माताजी को ढाई प्याला शराब (सुरा) का भोग लगाया जाता है।
मंदिर के पुजारी अंबापुरी गोस्वामी के अनुसार, इस मंदिर का जीर्णोद्धार संवत 1119 में धड़ायत डाकुओं द्वारा करवाया गया था। मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर सच्ची मनोकामना पूरी होती है। असंभव कार्य भी माता की कृपा से संभव हो जाते हैं।
मंदिर में साल में दोनों नवरात्रों पर 9 दिवसीय मेला भरता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज़ से दर्शन करने पहुंचते हैं। भक्त जब अपनी मन्नत पूरी होने पर आते हैं तो वे विशेष रूप से ढाई प्याला शराब का भोग अर्पित करते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही आस्था और श्रद्धा से निभाई जाती है।