शरद पूर्णिमा की अमृतमयी रात: पादूकलां में श्रद्धा, भक्ति और परंपरा के संग मना पर्व

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मंदिरों में उमड़ी भीड़, भक्तों ने किया दूध-खीर का भोग अर्पित; पूर्णिमा की चांदनी में किया खीर का सेवन

पादूकलां: कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में सोमवार को शरद पूर्णिमा का पर्व धार्मिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी और भगवान को दूध व खीर का भोग अर्पित किया गया।

शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पृथ्वी पर अमृत बरसाता है। इसी परंपरा के तहत श्रद्धालुओं ने घरों की छतों और आंगनों में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखी। मध्यरात्रि के बाद उस खीर का सेवन कर भक्तों ने पुण्य लाभ प्राप्त किया।

खीर के सेवन से रोग नाश और सुख-समृद्धि की मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि इस रात चंद्रकिरणों से अमृत बरसता है और उस खीर के सेवन से रोग दूर होते हैं तथा घर में सुख-समृद्धि आती है। इस अवसर पर कई परिवारों ने कन्याओं को आमंत्रित कर भोजन कराया और गुलाबाई के पारंपरिक गीत गाए। वहीं, अनंत चतुर्दशी पर स्थापित गुलाबाई प्रतिमा का विसर्जन भी किया गया। परिवारों ने परंपरा के अनुसार सबसे बड़े बच्चे की आरती उतारकर उपहार दिए।

मंदिरों में विशेष श्रृंगार और पूजा-अर्चना की गई। श्रद्धालु देर रात तक भजन-कीर्तन में डूबे रहे और पूर्ण चांद की चांदनी में नहाकर अमृतमयी वातावरण का आनंद उठाया।

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