आईआईटी के इंजीनियर जो बने साधु: Abhay Singh और उनके जैसे अन्य उदाहरण
Abhay Singh: आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) को हमेशा अपनी उच्च शिक्षा, शोध कार्यों, और छात्रों को मिलने वाले आकर्षक पैकेजों के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में, आईआईटी के कुछ ऐसे पूर्व छात्र चर्चा का विषय बने हैं, जिन्होंने जीवन की भौतिक और तकनीकी सफलता को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया। इनमें से एक नाम Abhay Singh का है, जो अपने “आईआईटी बाबा” के रूप में पहचान बना चुके हैं। हालांकि, वह अकेले नहीं हैं। ऐसे कई और उदाहरण भी हैं जिनमें आईआईटी के इंजीनियरों ने धार्मिक जीवन को अपना लिया।
Abhay Singh: आईआईटी बॉम्बे से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक
Abhay Singh का नाम उन लोगों में शामिल है जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से आईआईटी बॉम्बे से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। हालाँकि, उनके जीवन की राह पारंपरिक नहीं थी। Abhay Singh ने कनाडा में एक अच्छी नौकरी छोड़कर संन्यास का मार्ग अपनाया। उनका यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन का बड़ा मोड़ था, बल्कि यह सवालों और चर्चाओं का कारण भी बना।
Abhay Singh का मानना था कि भौतिक सफलता और उच्च वेतन वाली नौकरी से जीवन की वास्तविक शांति और उद्देश्य नहीं मिलता। उन्होंने आत्मा की शांति और जीवन के उच्च उद्देश्य की खोज में सन्यास लिया। उनके इस फैसले से यह संदेश मिला कि जीवन में सिर्फ करियर और पैसे के पीछे भागना नहीं है, बल्कि आत्मिक विकास और संतुष्टि की ओर भी कदम बढ़ाना चाहिए।
गौरंग दास: आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री और इस्कॉन से जुड़ाव
गौरंग दास का नाम भी उन आईआईटी इंजीनियरों में शामिल है जिन्होंने भौतिक दुनिया को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया। गौरंग दास ने आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन उन्होंने एक अलग राह चुनी। वह इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से जुड़े और जीवन को एक नया आध्यात्मिक दृष्टिकोण देने का निर्णय लिया।
गौरंग दास ने न केवल आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का निर्णय लिया, बल्कि वे अब एक प्रसिद्ध धार्मिक नेता और लेखिका के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं, जो आध्यात्मिकता और जीवन के उद्देश्य पर आधारित हैं। सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति एक प्रभावशाली इन्फ्लुएंसर के रूप में भी स्थापित हो चुकी है, और वह कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं। उनके जीवन का यह परिवर्तन यह दर्शाता है कि आध्यात्मिकता और शिक्षा का कोई विरोधाभास नहीं है, बल्कि ये एक दूसरे को पूरक हो सकते हैं।
Abhay Singh और गौरंग दास जैसे उदाहरण
Abhay Singh और गौरंग दास जैसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि जीवन में केवल उच्च शिक्षा और करियर सफलता ही मायने नहीं रखती, बल्कि आत्मा की शांति और उद्देश्य की खोज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। जब ये आईआईटी के इंजीनियर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का निर्णय लेते हैं, तो यह उन लोगों के लिए एक संदेश होता है जो सिर्फ भौतिक सफलता को जीवन का सर्वोत्तम लक्ष्य मानते हैं।
अन्य आईआईटी इंजीनियर जो बने साधु
Abhay Singh और गौरंग दास के अलावा भी कुछ अन्य आईआईटी के पूर्व छात्र हैं जिन्होंने आध्यात्मिकता की राह अपनाई। इनमें से कुछ ने सन्यास लिया है, जबकि कुछ ने सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई है। यह भी साबित करता है कि आईआईटी में पढ़ाई करने वाले छात्रों के पास न केवल तकनीकी और वैज्ञानिक ज्ञान होता है, बल्कि जीवन की गहरी समझ और तात्त्विक दृष्टिकोण भी विकसित होता है।
संन्यास का मार्ग क्यों अपनाया?
आईआईटी के इंजीनियरों द्वारा संन्यास लेने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले, आईआईटी में अध्ययन करने वाले छात्र पूरी दुनिया से आते हैं, और उन्हें विभिन्न संस्कृतियों, दृष्टिकोणों और विचारों से परिचित होने का अवसर मिलता है। इस प्रकार की विविधता के बीच, वे यह महसूस कर सकते हैं कि भौतिक और तकनीकी सफलता के बाद जीवन में शांति और उद्देश्य का अहसास केवल आध्यात्मिकता में ही हो सकता है।
इसके अलावा, उच्च शिक्षा और कठिन प्रतिस्पर्धा के बीच, आईआईटी के छात्रों को मानसिक और भावनात्मक दबाव भी झेलना पड़ता है। ऐसे में, कुछ छात्र आत्मा की शांति की तलाश में आध्यात्मिक मार्ग की ओर मुड़ते हैं, जहाँ उन्हें मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति मिलती है।
आध्यात्मिकता और विज्ञान का संगम
आध्यात्मिकता और विज्ञान के बीच एक आमतौर पर संघर्ष की धारणा होती है, लेकिन आईआईटी के इंजीनियरों ने यह साबित किया है कि ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के बाद, उन्होंने जीवन के गहरे सवालों और आत्मा की शांति की ओर भी ध्यान दिया। यह संतुलन उनके जीवन में एक नई दिशा और उद्देश्य लेकर आया।