Anil Sharma: 20 साल में एक बार आती हैं वनवास जैसी फिल्में

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Anil Sharma: “20 साल में एक बार आती हैं वनवास जैसी फिल्में”

बॉलीवुड के जानेमाने फिल्मकार Anil Sharma का कहना है कि “वनवास” जैसी फिल्में 20 साल में एक बार ही बनती हैं। फिल्म “वनवास” इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है और Anil Sharma को इस फिल्म के जरिए एक महत्वपूर्ण संदेश देने का अवसर मिला है। यह फिल्म बुजुर्ग माता-पिता और बच्चों के रिश्ते की परतों को खोलती है, जो आज के दौर में बहुत ही जरूरी है। Anil Sharma की यह फिल्म न केवल एक परिवारिक मुद्दे को सामने रखती है, बल्कि एक सोशल संदेश भी देती है।

फिल्म वनवास और उसका संदेश

“वनवास” फिल्म बुजुर्ग माता-पिता और बच्चों के रिश्ते पर आधारित है। इसमें एक बुजुर्ग पिता की कहानी दिखाई गई है, जिसे उसके अपने ही बच्चे त्याग देते हैं। इस फिल्म के माध्यम से अनिल शर्मा यह संदेश देना चाहते हैं कि माता-पिता जब वृद्ध हो जाते हैं, तो वे अपने बच्चों के साथ वही प्यार और सम्मान के हकदार होते हैं जो उन्हें जीवनभर दिया गया था। Anil Sharma के अनुसार, “वनवास जैसी फिल्में 20 साल में एक बार आती हैं। पिछले 15-20 साल में ऐसी फिल्में देखने को नहीं मिली हैं। नयी पीढ़ी के लिए ऐसी फिल्में जरूरी हैं क्योंकि उन्हें इस तरह की फिल्मों का अनुभव नहीं है।”

फिल्म वनवास और नई पीढ़ी के लिए एक नया दृष्टिकोण

Anil Sharma का मानना है कि आज की नई पीढ़ी को बुजुर्गों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। “वनवास” फिल्म ने यह साबित किया है कि समाज में वृद्ध माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी को कैसे निभाया जा सकता है। उनका कहना है कि इस फिल्म के जरिए उन्होंने यह संदेश दिया है कि माता-पिता के साथ समय बिताना और उनकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है, जो हमें हमेशा निभानी चाहिए। फिल्म के रिलीज के बाद मिली प्रतिक्रिया से अनिल शर्मा बेहद खुश हैं और उनका कहना है कि फिल्म को जो प्यार मिला है, उससे वह अभिभूत हैं।

Anil Sharma का करियर और “वनवास” की महत्वपूर्णता

Anil Sharma का सिनेमा करियर काफी समृद्ध रहा है। उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में बनाई हैं, जैसे “गदर: एक प्रेम कथा”, “तहलका”, “हुकूमत”, “एलानेजंग” और “गदर 2″। उनकी फिल्मों में एक्शन और ड्रामा का खासा प्रभाव रहा है, लेकिन “वनवास” उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। Anil Sharma ने बताया, “यह एक बैक टू रूट फिल्म है। गदर और अन्य फिल्मों के बाद मुझे लगता था कि अब मुझे समाज को कुछ लौटाना चाहिए। मैंने हमेशा अपने दर्शकों से जो प्यार और सम्मान पाया है, अब मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं समाज को एक अच्छा संदेश दूं।”

नाना पाटेकर का किरदार और उनकी छवि

फिल्म “वनवास” में नाना पाटेकर को मुख्य भूमिका में देखा गया है, जो इस फिल्म के लिए एक नई छवि के रूप में प्रस्तुत होते हैं। नाना पाटेकर की छवि मुख्य रूप से एक्शन हीरो के तौर पर रही है, लेकिन “वनवास” में उनका अभिनय बिल्कुल अलग है। अनिल शर्मा ने कहा, “नाना पाटेकर की उम्र के कलाकार बहुत कम हैं, और मुझे लगा कि उन्हें इस फिल्म में लेना एक नया कदम होगा। नाना का अभिनय स्तर एक्सट्रीम है और वे एक बहुत बड़े अभिनेता हैं। उनकी छवि हमेशा उनकी फिल्मों पर निर्भर करती है। ‘वेलकम’ जैसी फिल्म में उनका रोल एक अलग प्रकार का था, और ‘वनवास’ में उनका किरदार पूरी तरह से नयापन लेकर आता है।”

“वनवास” और पारिवारिक सिनेमा का भविष्य

Anil Sharma ने अपने करियर की शुरुआत पारिवारिक फिल्मों से की थी। “श्रद्धांजलि” और “बंधन कच्चे धागों” जैसी फिल्मों के बाद उन्होंने “अपने” जैसी फिल्म भी बनाई, जो एक पारिवारिक कहानी थी। “वनवास” का निर्माण उनके इस रुझान का ही हिस्सा है। उनका मानना है कि बॉलीवुड में अब पारिवारिक फिल्मों की कमी महसूस हो रही है, और “वनवास” जैसी फिल्में इस कमी को पूरा कर सकती हैं। Anil Sharma ने बताया, “गदर जैसी फिल्मों के बाद मुझे यह समझ में आया कि मुझे समाज के प्रति अपने दायित्व को निभाना चाहिए। ‘वनवास’ उसी दिशा में एक कदम है।”

फिल्म का प्रभाव और दर्शकों से मिली प्रतिक्रिया

“वनवास” के बाद Anil Sharma को जो स्नेह और समर्थन दर्शकों से मिला है, वह उनके लिए बेहद भावनात्मक अनुभव है। उन्होंने कहा, “फिल्म के रिलीज के बाद मुझे फोन आ रहे हैं, लोग मुझसे बात कर रहे हैं और मुझे लगता है कि ‘वनवास’ मेरे करियर की सबसे बेहतरीन फिल्म बन गई है।” इस फिल्म की सफलता यह साबित करती है कि अगर कोई फिल्म सही संदेश और अच्छे विचार के साथ बनाई जाए, तो उसे दर्शकों का दिल जरूर मिलेगा।

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