Delhi में नए मुख्यमंत्री के चुनाव की तैयारियाँ

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Delhi विधानसभा चुनाव: राजनीतिक जंग के बीच नवे मुख्यमंत्री के चुनाव की तैयारियाँ

Delhi विधानसभा के चुनाव 5 फरवरी को होने वाले हैं और इसके साथ ही राजधानी दिल्ली का नौवां मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। Delhi के एक करोड़ 55 लाख से अधिक मतदाता चुनावी मैदान में उतरेंगे और 13 हजार से अधिक मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चुनाव आयोग ने इन चुनावों के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। राजनीतिक दलों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), और कांग्रेस शामिल हैं।

चुनावी मैदान में कौन-कौन?

Delhi में आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी राजनीतिक दल ने अभी तक अपना चेहरा पेश नहीं किया है, हालांकि आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होगा। इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी ने भी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का एलान किया है। विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं, और पिछला चुनाव 2020 में हुआ था, जिसमें आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की थी।

वर्तमान में Delhi की राजनीति में कई महत्वपूर्ण चेहरे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से अरविंद केजरीवाल का नाम आता है। वे दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में लंबे समय से कार्यरत रहे हैं और पिछले कार्यकाल में उनका प्रभाव मजबूत था। हालांकि इस बार चुनावी माहौल में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

Delhi के इतिहास में मुख्यमंत्री पद

Delhi की राजनीति में अब तक आठ अलग-अलग नेताओं ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई है। Delhi विधानसभा के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रहमप्रकाश थे, जो 17 मार्च 1952 से लेकर 12 फरवरी 1955 तक इस पद पर रहे। इसके बाद गुरूमुख निहाल सिंह ने इस पद को संभाला, जो 12 फरवरी 1955 से लेकर 1 नवंबर 1956 तक मुख्यमंत्री रहे।

फिर आते हैं मोतीनगर सीट के विधायक मदन लाल खुराना, जिन्होंने 2 दिसंबर 1993 से लेकर 26 जनवरी 1996 तक मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद साहिब सिंह वर्मा का नाम आता है, जो 26 फरवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998 तक मुख्यमंत्री बने।

भा.ज.पा. की प्रमुख नेता श्रीमती सुषमा स्वराज भी Delhi की मुख्यमंत्री रही थीं, हालांकि उनका कार्यकाल 12 अक्टूबर 1998 से लेकर 3 दिसंबर 1998 तक ही रहा। इसके बाद शीला दीक्षित का नाम आता है, जो दिल्ली के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता रही हैं। उन्होंने 3 दिसंबर 1998 से लेकर 28 दिसंबर 2013 तक मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए दिल्ली की राजनीति में अहम भूमिका निभाई थी।

अरविंद केजरीवाल, जो नई Delhi विधानसभा से विधायक हैं, 28 दिसंबर 2013 से लेकर 21 सितंबर 2024 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे। उनके बाद कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक रहे सुश्री आतिशी मार्लेना ने मुख्यमंत्री का पद संभाला।

Delhi विधानसभा और इतिहास

Delhi विधानसभा का गठन 1952 में पहली बार राज्य सरकार अधिनियम 1951 के तहत किया गया था। हालांकि, 1 अक्टूबर 1956 को Delhi विधानसभा को समाप्त कर दिया गया था और इसके बाद दिल्ली की शासन व्यवस्था के लिए महानगर परिषद का गठन किया गया। दिल्ली महानगर परिषद में 56 निर्वाचित सदस्य और पांच मनोनीत सदस्य थे, लेकिन इसका कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं था और यह सिर्फ एक सलाहकार संस्था थी।

Delhi विधानसभा के गठन की नई प्रक्रिया 1991 में हुई, जब संसद ने 69वां संविधान संशोधन अधिनियम पारित किया और दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के तहत एक नई विधानसभा का गठन हुआ। इसके साथ ही दिल्ली की राजनीति और सरकार की संरचना का नया दौर शुरू हुआ।

चुनाव की तैयारियाँ और चुनाव आयोग की भूमिका

Delhi विधानसभा के चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग ने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। लगभग 13 हजार मतदान केंद्रों पर चुनाव होगा, और ये केंद्र दिल्ली के हर कोने में स्थित होंगे ताकि अधिक से अधिक मतदाता मतदान कर सकें। चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो, और मतदाता किसी भी प्रकार के दबाव या प्रभाव से मुक्त रहकर अपना वोट डाल सकें।

Delhi विधानसभा चुनाव 2025 के महत्व को देखते हुए, यह चुनाव केवल दिल्ली की राजनीति के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच इस चुनाव को लेकर गर्मा-गर्मी बनी हुई है, और हर दल अपने-अपने उम्मीदवारों और रणनीतियों के साथ मैदान में है।

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