दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को ‘दिल्ली को कूड़े से आज़ादी’ अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि जन-भागीदारी और विभिन्न सरकारी निकाय मिलकर एक मिसाल पेश करेंगे। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग के कश्मीरी गेट स्थित कार्यालय से अभियान की शुरुआत की और वहां की जर्जर स्थिति पर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि कार्यालय की हालत देखकर वह बेहद व्यथित हैं।
मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि जिन अधिकारियों पर दिल्ली की सुशासन व्यवस्था की ज़िम्मेदारी है, वे खुद इतनी बदहाल स्थिति में कैसे प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं? कार्यालय की छत से पानी टपक रहा है, कुर्सियां टूटी हुई हैं, अलमारियाँ जर्जर हैं और पंखे किसी भी समय गिर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जिस इमारत में 2021 में आग लगी थी, उसकी मरम्मत आज तक नहीं हुई है। उन्होंने चिंता जताई कि क्या हम अपने अधिकारियों को जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर कर रहे हैं?
रेखा गुप्ता ने पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो खुद को ‘पढ़ी-लिखी सरकार’ कहते थे, वे अपने लिए आलीशान भवन बनाते रहे लेकिन अधिकारियों के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं दे सके। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अपने कार्यालय पर 70 करोड़ रुपये खर्च करने वालों ने इन विभागों पर दो-चार करोड़ रुपये भी नहीं लगाए।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अब समय आ गया है जब दिल्ली के सभी विभागों के लिए एक नया, सुव्यवस्थित और एकीकृत सचिवालय बनाया जाए। उन्होंने कहा कि आज से ही इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे और उपयुक्त स्थान की पहचान की जाएगी, जहां नया दिल्ली सचिवालय स्थापित हो सके और सभी विभाग एक ही छत के नीचे कार्य कर सकें।