अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले युगेन्द्र ने EVM जांच के लिए EC को 9 लाख रुपये का शुल्क दिया

By Editor
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: EVM सत्यापन के लिए उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग को 66.64 लाख रुपये का भुगतान किया

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद राज्य भर के कई उम्मीदवारों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन के लिए चुनाव आयोग से आवेदन किया है। 23 नवंबर को घोषित चुनाव परिणामों के सात दिनों के भीतर उम्मीदवारों को EVM सत्यापन के लिए आवेदन जमा करने का निर्देश था। पुणे जिले में 137 ईवीएम सेटों के माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग को 66.64 लाख रुपये का भुगतान किया है।

EVM सत्यापन की बढ़ती मांग

महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद, कई उम्मीदवारों ने EVM मशीनों की सहीत और निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। इस संदर्भ में पुणे जिले के 21 निर्वाचन क्षेत्रों में से 11 उम्मीदवारों ने आधिकारिक रूप से चुनाव आयोग से EVM माइक्रोकंट्रोलर की दोबारा जांच करने का अनुरोध किया है। इन उम्मीदवारों का मानना है कि चुनाव परिणामों में कोई गड़बड़ी हो सकती है, और इसलिए उन्होंने मशीनों का पुनः सत्यापन कराने की मांग की है।

कुल 137 EVM सेटों की जांच की मांग

पुणे जिले के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों द्वारा दी गई शिकायतों और दावों को लेकर चुनाव आयोग ने उन सभी EVM सेटों का माइक्रोकंट्रोलर वेरिफिकेशन करने का निर्णय लिया है, जिन पर संदेह किया गया है। चुनाव आयोग ने निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर इन मशीनों का सत्यापन कराने का आश्वासन दिया है। पुणे जिले के निर्वाचन क्षेत्रों के अलावा, राज्य के अन्य हिस्सों में भी ऐसे ही अनुरोध किए गए हैं। कुल मिलाकर, राज्य भर में 137 EVM सेटों के माइक्रोकंट्रोलर वेरिफिकेशन की मांग की गई है, जिसके लिए उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग को करीब 66.64 लाख रुपये का भुगतान किया है।

EVM पर उठे सवाल

हालांकि भारत में EVM का उपयोग चुनावों के दौरान पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है, फिर भी इसके परिणामों को लेकर कई बार विवाद उठ चुके हैं। खासकर जब परिणाम उम्मीद के विपरीत आते हैं तो राजनीतिक दल और उम्मीदवार EVM की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी ऐसा हुआ। परिणामों के बाद कुछ उम्मीदवारों ने यह महसूस किया कि चुनावी परिणामों में गड़बड़ी हो सकती है, और यही कारण है कि उन्होंने EVM के माइक्रोकंट्रोलर की जांच की मांग की।

चुनाव आयोग का महत्त्वपूर्ण कदम

चुनाव आयोग ने इन सभी दावों को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह अपने पब्लिक ट्रांसपेरेंसी मानकों के तहत सभी शिकायतों का समाधान करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष हो। इसके लिए आयोग ने सभी उम्मीदवारों को आवेदन करने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी है, ताकि यदि किसी को संदेह हो, तो वह उचित समय में अपना दावा पेश कर सके।

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि सभी सत्यापन और जांच कार्यों को पारदर्शिता के साथ किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी या विवाद से बचा जा सके। आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि जिन मशीनों पर संदेह है, उनकी सही जांच की जाएगी, और परिणामों को स्वीकार करने से पहले सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा।

EVM सत्यापन प्रक्रिया और शुल्क

EVM सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान, आयोग को मशीनों के माइक्रोकंट्रोलर की कार्यप्रणाली और उनकी सटीकता की जांच करनी होती है। इसके लिए एक निर्धारित शुल्क लिया जाता है, जो उम्मीदवारों द्वारा चुकाया जाता है। इस बार, महाराष्ट्र में कुल मिलाकर 137 ईवीएम सेटों के माइक्रोकंट्रोलर की जांच की मांग की गई, और इस पर कुल 66.64 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।

उम्मीदवारों द्वारा यह शुल्क चुकाने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनावों में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या गड़बड़ी न हो। यह साबित करने के लिए कि चुनाव आयोग पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी है, इन जांचों को सही तरीके से संपन्न करना आवश्यक है।

विवाद और समाधान

EVM सत्यापन का मुद्दा हर चुनाव में गर्माता है, खासकर जब चुनाव परिणाम अप्रत्याशित होते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी रखा जाता है और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को सख्ती से रोका जाता है। आयोग की तरफ से यह संदेश भी दिया गया है कि यदि किसी भी उम्मीदवार को लगता है कि मशीनों में कोई गड़बड़ी हो सकती है, तो वह इस सत्यापन प्रक्रिया का हिस्सा बन सकता है और अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है।

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