कांग्रेस का आरोप: मोदी का GST जनता की जेब से पूंजीपतियों को फायदा पहुंचा रहा है

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कांग्रेस का आरोप: मोदी सरकार का GST आम आदमी के लिए संकट, पूंजीपतियों के लिए राहत

कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर मोदी सरकार के GST (वस्तु एवं सेवा कर) पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें पार्टी ने कहा है कि सरकार GST के माध्यम से आम जनता की जेब पर डाका डाल रही है और इस कर प्रणाली को पूरी तरह से पूंजीपतियों के पक्ष में मोड़ रही है।

कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि यह कर प्रणाली किसान और सामान्य लोगों के लिए एक आतंक बन चुकी है। उनके अनुसार, मोदी सरकार ने GST के जरिए उन वर्गों को और भी परेशान किया है जो पहले से ही आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे थे।

GST: आम लोगों के लिए आतंक

शक्ति सिंह गोहिल ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि GST का उद्देश्य था कर वसूली प्रक्रिया को सरल बनाना, लेकिन मोदी सरकार ने इसे जटिल बना दिया। उन्होंने कहा कि GST के स्लैब की संख्या बढ़ाकर आम जनता को भारी परेशानियों में डाल दिया गया है। पॉपकॉर्न जैसे साधारण उत्पाद पर भी तीन स्लैब में कर लिया जा रहा है, जो एक तरह से आम लोगों के साथ अत्याचार जैसा प्रतीत होता है।

गोहिल ने यह भी कहा कि किसान अपने उत्पादों पर पहले से ही विभिन्न प्रकार के कर चुका रहे हैं, और अब मोदी सरकार ने उनके लिए भी GST का बोझ बढ़ा दिया है। कृषि उपकरणों और कीट नाशक रसायनों पर भारी कर लगाने से किसान पहले से अधिक परेशान हैं। इसके अलावा, किसान से एडवांस टैक्स लिया जा रहा है और इसके बदले उन्हें कोई ब्याज भी नहीं दिया जा रहा।

पूंजीपतियों को करों में छूट, गरीबों से टैक्स वसूली

कांग्रेस नेता ने GST के जरिए पूंजीपतियों को करों में दी जा रही छूट का भी कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने बड़े उद्योगपतियों को दो लाख करोड़ रुपये की कर छूट दी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार केवल बड़े व्यापारिक घरानों के पक्ष में काम कर रही है। इसके परिणामस्वरूप, देश में गरीब और अमीर के बीच की खाई और भी बढ़ गई है, जो कि अंग्रेजों के शासनकाल से भी ज्यादा चौड़ी हो गई है।

गोहिल ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) के नाम पर बड़े उद्योगपतियों को 17 लाख करोड़ रुपये का माफ किया। इसके बदले इन पूंजीपतियों ने इलेक्ट्रोल बॉन्ड के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) को चंदा दिया। इस प्रकार, यह कर प्रणाली आम जनता के बजाय केवल पूंजीपतियों के लाभ में काम कर रही है।

GST का सरलीकरण न होकर जटिलता का कारण

कांग्रेस नेता ने GST के उद्देश्य को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इसका मकसद था कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना, लेकिन सरकार ने इसे उलझा दिया। GST के स्लैब इतने जटिल हैं कि सामान्य आदमी को यह समझना मुश्किल हो गया है। कर वसूली की यह व्यवस्था अब केवल सरकार के लिए फायदे का सौदा बन गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि GST से सरकार की आमदनी बढ़ी है, लेकिन इसका फायदा देश के गरीब लोगों को नहीं मिल रहा है। इसके बजाय, सरकार ने सेस जैसे अतिरिक्त कर लगा कर अपनी कमाई बढ़ाई है, जो केवल उसके प्रशासन की जेब भरने का काम कर रहा है।

किसानों और स्वास्थ्य क्षेत्र में GST की मार

कांग्रेस ने किसानों के साथ GST के माध्यम से किए जा रहे धोखे का भी विरोध किया। गोहिल ने बताया कि किसान अपनी फसल को बचाने के लिए कीट नाशक रसायनों का इस्तेमाल करते हैं, और उन पर 28 प्रतिशत जीएसटी लिया जा रहा है। इसके अलावा, स्वास्थ्य क्षेत्र में बीमा सेवाओं पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है, जो सीधे तौर पर आम आदमी को प्रभावित करता है। इस प्रकार, मोदी सरकार का जीएसटी नीति गरीबों और सामान्य लोगों के लिए वित्तीय बोझ और परेशानी का कारण बन गई है।

मोदी सरकार का ‘रावण’ वाला विकास मॉडल

शक्ति सिंह गोहिल ने मोदी सरकार के विकास मॉडल को रावण के विकास से तुलना करते हुए कहा कि जिस तरह से लंका में रावण के महल सोने के थे, और वहां की आम जनता परेशान थी, ठीक वैसे ही मोदी सरकार का विकास मॉडल है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार भले ही राम राज्य की बातें करती हो, लेकिन उसकी कर वसूली की प्रक्रिया पूरी तरह से रावण की शैली में काम कर रही है। इस विकास मॉडल के चलते, देश के गरीब और आम आदमी की परेशानियाँ बढ़ रही हैं, जबकि पूंजीपतियों का लाभ और बढ़ रहा है।

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