Israeli का लेबनान में हिजबुल्ला के खिलाफ सैन्य अभियान तेज, बेरूत में मिसाइल अटैक से 28 की मौत
Israeli और लेबनान के बीच बढ़ती तनावपूर्ण स्थिति में संघर्ष विराम के प्रयासों के बावजूद Israeli ने हिजबुल्ला के खिलाफ अपना सैन्य अभियान तेज कर दिया है। शनिवार को हुए एक Israeli हमले में लेबनान में 28 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से 15 लोग मध्य बेरूत में हुए हवाई हमले में मारे गए। बाकी 13 लोग राजधानी के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में हुए हमलों में अपनी जान गंवा बैठे। यह हमला उस समय हुआ है जब दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की उम्मीदें भी बनी हुई थीं।
बेरूत में लगातार हमले: आठ मंजिला इमारत पर मिसाइल हमला
लेबनान की राजधानी बेरूत में यह चौथा हमला था, जिसमें Israeli ने एक आठ मंजिला इमारत को निशाना बनाया। लेबनानी सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, इस हमले में चार मिलाइलें दागी गईं, जो सुरंगों को तबाह करने के लिए इस्तेमाल की गईं। हमले के परिणामस्वरूप इमारत में गहरा गड्ढा बन गया और आसपास के इलाके में व्यापक तबाही हुई। इस हमले ने संघर्ष की तीव्रता को और बढ़ा दिया है, जो पहले से ही कई महीनों से जारी है।
लेबनान और Israeli के बीच बढ़ता तनाव
Israeli द्वारा किए गए इस हमले को लेकर लेबनान और हिजबुल्ला ने विरोध जताया है। हिजबुल्ला के अधिकारियों का कहना है कि Israeli का यह हमला सीधा उनकी सेना को निशाना बनाने की कोशिश है, जिससे तनाव और बढ़ सकता है। हालांकि, Israeli ने इस हमले के पीछे अपनी सुरक्षा कारणों को बताया है और कहा है कि उनका उद्देश्य हिजबुल्ला के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था।
यह भी माना जा रहा है कि Israeli का हमला सिर्फ हिजबुल्ला तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता को और बढ़ा दिया है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद सैन्य संघर्ष की बढ़ती स्थितियों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
संघर्ष विराम की उम्मीदें धूमिल
लेबनान पर Israeli हमलों के बीच संघर्ष विराम की उम्मीदें लगातार धूमिल हो रही हैं। पहले ही क्षेत्र में कई वर्षों से संघर्ष जारी है, और अब यह हमले उस संघर्ष को और भी गहरे कर रहे हैं। विश्व समुदाय और संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के बावजूद, दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करना अब तक एक बड़ी चुनौती साबित हुआ है।
संघर्ष विराम की कोशिशें इस समय और भी महत्वपूर्ण हो गई हैं, लेकिन दोनों पक्षों की तरफ से सैन्य कार्रवाई जारी रहने के कारण स्थिति और जटिल हो गई है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने दोनों देशों से अपील की है कि वे हिंसा को तुरंत बंद करें और शांति वार्ता की दिशा में कदम बढ़ाएं।
फलस्तीनियों की स्थिति: 48 घंटों में 120 की मौत
इजरायल के हमलों का असर सिर्फ लेबनान तक सीमित नहीं है, बल्कि फलस्तीन में भी स्थिति लगातार बिगड़ रही है। पिछले 48 घंटों में 120 फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई नागरिक शामिल हैं। इजरायल ने गाजा पट्टी में भी हमले तेज कर दिए हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई नागरिकों की जान चली गई है। गाजा के अस्पतालों में भारी दबाव है, और वहां के लोग बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इस बढ़ते संघर्ष ने क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, और नागरिकों की सुरक्षा की स्थिति और भी अधिक चिंताजनक हो गई है। अस्पतालों में घायलों का इलाज करने के लिए डॉक्टरों की कमी हो रही है, और अस्पतालों में आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की भी कमी महसूस हो रही है।
आगे का रास्ता: क्या संघर्ष विराम संभव है?
इजरायल और लेबनान के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष ने क्षेत्रीय शांति की संभावनाओं को और जटिल बना दिया है। दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की कोशिशों को लेकर उम्मीदें तो जताई जा रही हैं, लेकिन जब तक दोनों पक्ष हिंसा और सैन्य कार्रवाइयों से पीछे नहीं हटते, तब तक इस संघर्ष का समाधान ढूंढना मुश्किल होगा।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका अब और भी महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि इस युद्ध का प्रभाव न केवल लेबनान और इजरायल पर, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र पर पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक शक्तियां दोनों देशों से अपील कर रही हैं कि वे अपने कड़े रुख को छोड़कर शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं। लेकिन जब तक हिंसा का सिलसिला बंद नहीं होता, शांति स्थापित करने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाना मुश्किल होगा।
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