Jharkhand में शव के बदले 94 हज़ार की मांग पर स्वास्थ्य मंत्री का त्वरित एक्शन, परिजनों को मिला शव
Jharkhand के रांची में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसमें एक अस्पताल ने 65 वर्षीय हाजी समीउल्लाह अंसारी के शव को उनके परिजनों को देने से इंकार कर दिया। अस्पताल ने शव को देने के बदले 94 हजार रुपये का बिल चुकाने की मांग की। लेकिन जब इस घटना की जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी तक पहुंची, तो उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप किया और परिजनों को शव दिलवाने में मदद की। इस त्वरित कार्रवाई ने लोगों के बीच स्वास्थ्य मंत्री की ईमानदारी और जनता के प्रति समर्पण को लेकर प्रशंसा का एक नया सिलसिला शुरू कर दिया है।
क्या था मामला?
Jharkhand के रांची में हाजी समीउल्लाह अंसारी का निधन हो गया था, लेकिन अस्पताल प्रबंधक ने परिजनों को शव देने से साफ इंकार कर दिया, जब तक कि वे 94 हजार रुपये का बिल नहीं चुका देते। यह घटना एक शर्मनाक स्थिति में तब बदल गई जब अस्पताल प्रबंधक ने शव को देने के बदले भारी रकम की मांग की, जो एक सामान्य नागरिक के लिए न केवल अत्यधिक थी, बल्कि यह किसी भी मानवाधिकार का उल्लंघन भी था।
अस्पताल प्रबंधन का यह रवैया अत्यधिक असंवेदनशील था, क्योंकि यह घटना एक ऐसे समय में घटित हुई जब परिजनों का मानसिक और भावनात्मक संतुलन पहले से ही बिगड़ा हुआ था। हाजी समीउल्लाह अंसारी के परिवार में इस घटना से दुख और निराशा का माहौल बन गया था।
स्वास्थ्य मंत्री का त्वरित एक्शन
इस घटना का खुलासा होते ही Jharkhand के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी ने इस पर त्वरित कार्रवाई की। उन्होंने तुरंत अस्पताल से संपर्क किया और बिना किसी विलंब के शव को परिजनों के हवाले करने की बात की। स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कदम उठाने की चेतावनी भी दी।
डॉक्टर इरफान अंसारी के त्वरित हस्तक्षेप के कारण अस्पताल ने शव परिजनों को सौंप दिया और अंततः इस गंभीर मामले का समाधान हो सका। स्वास्थ्य मंत्री की यह कार्रवाई न केवल परिजनों के लिए राहत का कारण बनी, बल्कि राज्यभर में उनकी कार्यशैली की सराहना भी की गई।
मंत्री की सराहना
Jharkhand: स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी के इस कदम की व्यापक सराहना हो रही है। लोगों का कहना है कि इस घटना में मंत्री ने न केवल संवेदनशीलता दिखाई, बल्कि जनहित के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाई। रांची के नागरिकों ने स्वास्थ्य मंत्री के इस निर्णय को सराहा, क्योंकि इस घटना ने यह साबित कर दिया कि मंत्री सिर्फ उच्च पदों पर नहीं हैं, बल्कि जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी भी है।
Jharkhand: समीउल्लाह अंसारी के परिजनों ने भी इस कदम के लिए स्वास्थ्य मंत्री का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि मंत्री की मदद से उन्हें अपने प्रियजन का शव वापस मिला और उनके दुखों को कुछ हद तक कम किया गया। परिजनों ने स्वास्थ्य मंत्री के इस त्वरित और प्रभावी कदम की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस मामले में उनका सहयोग बेहद अहम था।
अस्पताल की कार्रवाई पर सवाल
Jharkhand: इस घटना ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। अस्पताल द्वारा शव के बदले पैसे की मांग करना न केवल गलत था, बल्कि यह किसी भी मानवाधिकार का उल्लंघन भी था। ऐसे मामलों में अस्पतालों को मरीजों और उनके परिवारों के प्रति संवेदनशील और सहायक होना चाहिए। अस्पतालों का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा देना और मरीजों की मदद करना होता है, न कि उनके दुखों में वृद्धि करना।
इस घटना के बाद Jharkhand राज्य सरकार और संबंधित विभागों से यह उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले की गहन जांच करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों। अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों को नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए।
मंत्री की जिम्मेदारी और जनता के प्रति समर्पण
Jharkhand: स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी ने इस घटना के दौरान यह सिद्ध कर दिया कि वह केवल राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपनी जनता के प्रति समर्पित हैं। उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और संवेदनशीलता ने उन्हें जनता के बीच और भी अधिक सम्मान दिलाया। जब तक नेताओं और सरकारी अधिकारियों का जनता के प्रति समर्पण और मदद की भावना जीवित रहेगी, तब तक ही जनता में विश्वास और विश्वास का माहौल बना रहेगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने इस घटना में एक आदर्श प्रस्तुत किया है कि कैसे एक नेता को संकट के समय में अपने नागरिकों की मदद करनी चाहिए। उनका यह कदम न केवल राजनीति में, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश छोड़ता है।
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