निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का महत्व :
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है, लेकिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) को सभी एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ और कठिन व्रत माना गया है। इस दिन बिना जल के उपवास रखकर भगवान विष्णु (Lord Vishnu ) की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सालभर की 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।
निर्जल का अर्थ क्या है? :
“निर्जला” का मतलब होता है — बिना जल के। इस दिन उपवासी न तो अन्न ग्रहण करते हैं और न ही जल। यह व्रत कठिन जरूर है, लेकिन इसका फल भी अत्यंत शुभकारी और मोक्षदायक माना गया है।
विष्णु पूजा (Vishnu Puja ) और व्रत विधि :
प्रातः काल स्नान करके व्रत का संकल्प लें, भगवान विष्णु (Lord Vishnu ) को पीले फूल, तुलसी, पंचामृत आदि से पूजा करें, दिनभर उपवास रखें, जल भी ग्रहण न करें (यदि स्वास्थ्य अनुमति दे), शाम को विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें, अगले दिन पारण करें,,,,
Hare krishna.
— Prathosh (@Prathosh2021) June 2, 2025
Nirjala Ekadashi on June 6 2025 .
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भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) क्यों कहते हैं? :
महाभारत (Mahabharat ) के अनुसार, पांडवों में से भीम (Bhim ) को भूखे रहना बहुत कठिन लगता था। श्री व्यास जी (Ved Vyasa) की सलाह पर उन्होंने केवल निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का कठोर व्रत किया, जिससे वे बेहोश हो गए थे। तब से इस व्रत को भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) भी कहा जाने लगा।
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत के लाभ :
सालभर की 24 एकादशियों के बराबर पुण्य, पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति, भगवान विष्णु की विशेष कृपा, मानसिक और शारीरिक शुद्धता, मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान,,
निष्कर्ष :
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) केवल एक व्रत नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मोक्ष का मार्ग है। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu ) की आराधना कर आप अपने जीवन को शुभता और सकारात्मकता से भर सकते हैं।
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