राज्यसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह माह के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव को मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह निर्णय विपक्षी दलों के हंगामे और नारेबाजी के बीच लिया गया। लोकसभा पहले ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी थी। अब संसद के दोनों सदनों की सहमति के बाद मणिपुर में 13 अगस्त को समाप्त हो रही राष्ट्रपति शासन की अवधि छह माह और बढ़ा दी गई है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए बताया कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से राज्य में स्थिति में सुधार हुआ है और अब नियंत्रण बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हिंसा में केवल एक व्यक्ति की मौत हुई है और सरकार के विकास एजेंडे से मणिपुर में तेज़ी से प्रगति हुई है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि स्थिति उच्च न्यायालय के एक आरक्षण संबंधी फैसले के बाद बिगड़ी थी, जिससे दो समुदायों के बीच संघर्ष पैदा हुआ।
विपक्ष की ओर से मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा किया गया। दोपहर दो बजे जब सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई, तब भी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने हंगामा जारी रखा और आसन के समीप आकर नारेबाजी की। इसी बीच वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने वित्त विधेयक 2025 में एक अधिसूचना को ध्वनिमत से पास कराया।
उपसभापति हरिवंश ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव की संवैधानिक समयसीमा को ध्यान में रखते हुए विपक्ष से सहयोग की अपील की और कहा कि यह प्रस्ताव विलंब नहीं सह सकता। उन्होंने कांग्रेस के जयराम रमेश से भी समर्थन की अपील की, लेकिन विपक्ष मतदाता सूची की बहस पर अड़ा रहा।
हालांकि प्रस्ताव को पारित कर लिया गया, लेकिन हंगामे के चलते दिन भर के लिए राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। चर्चा के दौरान कुछ दलों के सदस्यों ने अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष के शोरगुल में उनकी आवाज दब गई।