केंद्रीय मंत्री मोहोल ने अखिल भारतीय Sahitya Sammelan के लिए सहायता का किया वादा

Sahitya Sammelan

केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल ने अखिल भारतीय Sahitya Sammelan के लिए मदद का किया वादा

केंद्रीय सहकारिता और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने शुक्रवार को पुणे में अखिल भारतीय मराठी Sahitya Sammelan के सहायक कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का उद्घाटन करते हुए इस शहर की सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने इस बात का वादा किया कि वह इस सम्मेलन की सफलता के लिए पूरी निष्ठा और जिम्मेदारी से काम करेंगे।

पुणे: शिक्षा और संस्कृति का प्रमुख केंद्र

मुरलीधर मोहोल ने इस अवसर पर पुणे के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह शहर केवल शिक्षा का केंद्र नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी प्रसिद्ध है। उन्होंने पुणे को साहित्य और शिक्षा की भूमि मानते हुए इस शहर के योगदान को स्वीकार किया। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि पुणे ने अपने ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ अपने सांस्कृतिक और साहित्यिक योगदान से देशभर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

Sahitya Sammelan के सहायक कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में मोहोल की भूमिका

अखिल भारतीय मराठी Sahitya Sammelan के सहायक कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में मुरलीधर मोहोल की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। उन्होंने इस जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए यह स्पष्ट किया कि वह एक विद्वान के रूप में नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करेंगे। उन्होंने पुणे के लोगों की अपेक्षाओं का सम्मान करते हुए यह वादा किया कि वह सम्मेलन के आयोजन में पूरी निष्ठा और समर्पण से योगदान देंगे। यह उनके नेतृत्व की भावना को प्रदर्शित करता है, जो समाज के हित में काम करने के लिए तत्पर रहता है।

100वें सम्मेलन का आयोजन पुणे में होना चाहिए: मोहोल की आशा

मुरलीधर मोहोल ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि वह आशा करते हैं कि 100वां अखिल भारतीय साहित्यिक सम्मेलन पुणे में आयोजित किया जाए। यह पुणे के लिए गर्व की बात होगी, क्योंकि यह शहर साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने सम्मेलन की सफलता के लिए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया, ताकि इस आयोजन से पुणे की सांस्कृतिक विरासत और साहित्यिक योगदान को और भी मजबूत किया जा सके।

98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का शुभारंभ

दिल्ली में सरहद संस्था द्वारा आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का शुभारंभ इस दिन पुणे के साहित्य परिषद के संपर्क कार्यालय में हुआ। इस आयोजन ने साहित्य के प्रेमियों और मराठी साहित्य के प्रशंसकों के बीच एक नई ऊर्जा का संचार किया। सम्मेलन में विभिन्न विद्वान और साहित्यकार भाग लेने के लिए उपस्थित हुए और मराठी साहित्य के महत्व को बढ़ावा देने के लिए चर्चा की।

Sahitya Sammelan: पुणे की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का एक माध्यम

अखिल भारतीय मराठी Sahitya Sammelan का आयोजन केवल एक साहित्यिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह पुणे की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह सम्मेलन मराठी भाषा और साहित्य के महत्व को नए सिरे से रेखांकित करता है और एक मंच प्रदान करता है जहां साहित्यकार, लेखक और पाठक अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

पुणे के साहित्य प्रेमियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका है, जहां वे अपने पसंदीदा लेखकों से मिल सकते हैं, उनके कामों के बारे में चर्चा कर सकते हैं, और मराठी साहित्य की नई दिशा पर विचार कर सकते हैं। इस Sahitya Sammelan का उद्देश्य न केवल मराठी साहित्य की प्रतिष्ठा को बढ़ाना है, बल्कि साथ ही अन्य भाषाओं के साहित्य के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित करना भी है।

केंद्रीय मंत्री के योगदान का महत्व

केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल का साहित्य सम्मेलन में सक्रिय रूप से भाग लेना और अपनी मदद का वादा करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह उनके साहित्यिक प्रेम और समाज के प्रति जिम्मेदारी को दर्शाता है। उनका यह कदम यह भी साबित करता है कि राजनीति में रहते हुए भी किसी व्यक्ति का सांस्कृतिक और साहित्यिक योगदान बहुत मायने रखता है।

मोहोल का यह समर्थन यह संकेत देता है कि सरकार की ओर से भी साहित्य, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्रों में योगदान देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उनका यह वादा कि वह इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए हर संभव मदद करेंगे, निश्चित रूप से साहित्य जगत में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है।

Sahitya Sammelan का भविष्य और पुणे का महत्व

अखिल भारतीय मराठी Sahitya Sammelan जैसे आयोजनों का भविष्य बहुत उज्जवल नजर आता है। इस सम्मेलन से न केवल साहित्य का प्रसार होता है, बल्कि यह पुणे को भी एक वैश्विक सांस्कृतिक मंच पर स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। सम्मेलन के माध्यम से नए विचारों और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है, जो समाज के विकास में योगदान करते हैं।

पुणे के साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, यह सम्मेलन देश और दुनिया भर के साहित्य प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बनता जा रहा है। सम्मेलन की सफलता केवल पुणे के लिए नहीं, बल्कि देशभर के साहित्यकारों और संस्कृति प्रेमियों के लिए गर्व की बात होगी।

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