विपक्ष का हंगामा: Sambhal उपद्रव और अडाणी मामले पर लोकसभा में चर्चा की मांग, कार्यवाही स्थगित
Sambhal: बुधवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन लोकसभा की कार्यवाही विपक्ष के भारी हंगामे के कारण स्थगित कर दी गई। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने यूपी के Sambhal में हुए उपद्रव और अडाणी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए जोरदार हंगामा किया। इस हंगामे के कारण लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करने का आदेश देना पड़ा।
विपक्ष का हंगामा और चर्चा की मांग
Sambhal: लोकसभा में विपक्षी दलों के सांसद यूपी के Sambhal जिले में हाल ही में हुए उपद्रव और अडाणी समूह से जुड़े विवादों पर चर्चा करने की मांग कर रहे थे। विपक्ष का कहना था कि इन मुद्दों पर सरकार को स्पष्ट जवाब देना चाहिए और सदन में खुलकर बहस होनी चाहिए। विपक्षी सांसदों का आरोप था कि सरकार इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बच रही है और सदन की कार्यवाही को बाधित कर रही है।
Sambhal में हाल ही में हुए हिंसक घटनाओं के बाद विपक्षी दलों ने सरकार से इसकी जांच कराने की मांग की थी, वहीं अडाणी समूह से जुड़े मामलों में पारदर्शिता की मांग की गई थी। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इन मुद्दों पर जवाबदेही से बचने की कोशिश कर रही है।
लोकसभा स्पीकर का रुख
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों के हंगामे के बावजूद यह स्पष्ट किया कि सदन की कार्यवाही बिना किसी विघ्न के चलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन के सभी मुद्दों पर चर्चा कराई जाएगी, लेकिन इसे एक व्यवस्था के तहत किया जाएगा। स्पीकर ने विपक्षी नेताओं से अनुरोध किया कि वे चर्चा की मांग को शांतिपूर्वक रखें और सदन को अपना काम करने दें। हालांकि, विपक्षी सांसदों ने अपनी मांगों को लेकर हंगामा जारी रखा, जिससे कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
स्पीकर बिरला ने यह भी कहा कि अगर विपक्षी दलों को लगता है कि किसी विशेष मुद्दे पर तुरंत चर्चा होनी चाहिए, तो वे इसे तय प्रक्रिया के तहत उठाने का अनुरोध कर सकते हैं। इसके बावजूद, हंगामे और व्यवधानों के कारण कार्यवाही में कोई भी प्रगति नहीं हो पाई।
Sambhal उपद्रव पर विपक्ष का जोर
Sambhal जिले में पिछले दिनों हुई हिंसा ने राज्य में तनाव बढ़ा दिया था। यह मामला प्रमुख रूप से सांप्रदायिक उपद्रव से जुड़ा हुआ था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए। विपक्षी दलों का आरोप था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की और सांप्रदायिक तनाव को नियंत्रित करने में नाकाम रही।
विपक्ष ने मांग की थी कि Sambhal उपद्रव के मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार के जवाब की मांग की थी, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि सरकार इस गंभीर मामले में क्या कदम उठा रही है।
अडाणी मामले पर भी विपक्ष का दबाव
अडाणी समूह से जुड़े विभिन्न विवादों ने भी विपक्षी दलों को आक्रामक बना दिया था। इन विवादों में आरोप था कि अडाणी समूह ने गलत तरीके से सरकारी नीतियों का फायदा उठाया और अपने कारोबारी साम्राज्य को बढ़ाया। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार ने अडाणी समूह को प्रोत्साहित किया और इसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
विपक्षी दलों ने यह भी सवाल उठाए थे कि अडाणी समूह के साथ सरकार के रिश्ते पारदर्शी नहीं हैं और इन संबंधों को लेकर संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए। विपक्ष ने मांग की थी कि सरकार अडाणी समूह से जुड़े मामलों पर सदन में जवाब दे और इसके खिलाफ उठाए गए कदमों पर चर्चा की जाए।
संसद की कार्यवाही पर असर
विपक्षी हंगामे और चर्चा की मांगों के कारण संसद की कार्यवाही में कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई। संसद के कार्यों की शुरुआत में ही यह स्थिति उत्पन्न हो गई थी कि सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। इस तरह के हंगामे और व्यवधानों से संसद की कार्यवाही की गति पर असर पड़ता है, जो न केवल सरकार के लिए, बल्कि विपक्ष के लिए भी एक चुनौती बन जाता है।
इस स्थिति ने विपक्षी दलों के साथ-साथ आम जनता को भी यह सवाल उठाने पर मजबूर किया कि क्या संसद में विधायिका के कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए किसी ठोस प्रयास की आवश्यकता है। इसके अलावा, इस घटना ने यह भी दिखाया कि संसद में विपक्ष की भूमिका सिर्फ विरोध तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन्हें सशक्त तरीके से चर्चा के लिए तैयार रहना चाहिए।
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