पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित ‘वृक्ष माता’ Tulsi Gowda का निधन, पीएम मोदी ने व्यक्त किया शोक

By Editor
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Tulsi Gowda

पद्मश्री से सम्मानित ‘वृक्ष माता’ Tulsi Gowda का निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

पद्मश्री से सम्मानित और ‘वृक्ष माता’ के नाम से मशहूर Tulsi Gowda का सोमवार को निधन हो गया। उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोल तालुक स्थित उनके गृह गांव हंनाली में उन्होंने अंतिम सांस ली। Tulsi Gowda का जीवन पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा हुआ था और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी पेड़-पौधे लगाने और पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित की। उनका योगदान न केवल उनकी धरती पर बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अमूल्य रहेगा।

प्रारंभिक जीवन और वन विभाग में योगदान
Tulsi Gowda का जन्म हलक्की समुदाय में हुआ था और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वन विभाग की पौध नर्सरी में काम करना शुरू किया। उनका जीवन संघर्ष और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है। Tulsi Gowda ने न केवल पेड़-पौधों की रक्षा की, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाते हुए दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित किया।

उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें ‘वृक्ष माता’ के सम्मान से नवाजा। उन्होंने जीवनभर हजारों पेड़ लगाए और इसे अपना जीवन उद्देश्य बना लिया। उनका यह कार्य इस बात का प्रतीक था कि जब किसी व्यक्ति का इरादा नेक और स्थिर होता है, तो वह प्रकृति की रक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। Tulsi Gowda का योगदान न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक अमूल्य धरोहर के रूप में रहेगा।

हजारों पेड़ लगाए और पर्यावरण को बचाया
Tulsi Gowda ने अंकोला और आसपास के इलाकों में हजारों पेड़ लगाए, और यह काम उन्होंने बेहद शांति और समर्पण से किया। उनका मानना था कि हर पेड़ जीवन का अभिन्न हिस्सा है और उनका हर पेड़-पौधा उस क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है। समय के साथ, उनके द्वारा लगाए गए पौधे बड़े हो गए और अब वह इलाके के पर्यावरण का अहम हिस्सा बन चुके हैं।

पुरस्कार और सम्मान
Tulsi Gowda को उनके पर्यावरण संरक्षण के कार्य के लिए कई सम्मान मिले थे, जिनमें प्रमुख पद्मश्री और इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार शामिल हैं। यह पुरस्कार न केवल उनके द्वारा किए गए पर्यावरण संरक्षण कार्य की सराहना थी, बल्कि यह उनकी कठिन मेहनत और समर्पण को भी मान्यता प्रदान करता था।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की श्रद्धांजलि
Tulsi Gowda के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि Tulsi Gowda एक महान प्रेरणा स्रोत थीं और उनके योगदान को हमेशा पर्यावरण संरक्षण के मार्गदर्शक रूप में याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि उनके कार्यों ने न केवल पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाई, बल्कि यह भी दर्शाया कि एक व्यक्ति अपने समर्पण और कठिन परिश्रम से बड़ा बदलाव ला सकता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी तुलसी गौड़ा के निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके अद्वितीय कार्यों की सराहना की। कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भी उनके पर्यावरण संरक्षण में किए गए योगदान को सलाम किया। तुलसी गौड़ा का जीवन पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके अपार समर्पण का प्रतीक था और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।

Tulsi Gowda का पर्यावरण के प्रति समर्पण
Tulsi Gowda का जीवन पर्यावरण के प्रति उनके गहरे समर्पण और संघर्ष का अद्वितीय उदाहरण था। उन्होंने न केवल खुद हजारों पेड़ लगाए, बल्कि दूसरों को भी प्रकृति की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया। उनका मानना था कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकार या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। उनके अथक प्रयासों से कई क्षेत्रों में वृक्षारोपण का महत्व बढ़ा और उन्होंने यह सिद्ध किया कि एक व्यक्ति के प्रयासों से बड़ा परिवर्तन संभव है।

Tulsi Gowda का कार्य आज भी हमें प्रेरित करता है और आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि पेड़-पौधों की रक्षा से हम अपने पर्यावरण को संतुलित और सुरक्षित रख सकते हैं। उनका योगदान न केवल आज के लिए, बल्कि आने वाले समय के लिए भी एक अमूल्य धरोहर बनकर रहेगा।


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