अमेरिका में भारतीय सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाये जाने और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली से बीते सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट जारी रही, जिससे प्रमुख सूचकांक करीब एक प्रतिशत टूटकर बंद हुए। निवेशक अब आयात शुल्क से जुड़ी स्थिति के स्पष्ट होने का इंतजार कर सकते हैं और बाजार में बड़े निवेश को लेकर सतर्क रहेंगे। साथ ही उनकी नजर अगले सप्ताह आने वाले खुदरा और थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर होगी, जिनका असर बाजार पर पड़ेगा।
खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा 12 अगस्त और थोक मुद्रास्फीति का आंकड़ा 14 अगस्त को जारी होगा। सप्ताह के दौरान ऑयल इंडिया, ओएनजीसी, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और आईआरसीटीसी जैसी बड़ी कंपनियों के वित्तीय परिणाम भी बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।
पिछले सप्ताह बाजार में लगातार छठी बार गिरावट दर्ज हुई। बीएसई सेंसेक्स 742.12 अंक (0.92%) गिरकर 79,857.79 अंक पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी-50 202.05 अंक (0.82%) टूटकर 24,363.30 अंक पर आ गया, जो 9 मई के बाद का निचला स्तर है। बिकवाली का असर सभी सेक्टरों में देखा गया, खासतौर पर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर दबाव रहा।
सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से 15 में गिरावट और 15 में बढ़त दर्ज हुई। सप्ताह के दौरान इंफोसिस के शेयर सबसे ज्यादा 3.19% गिरे, जबकि टाइटन का शेयर 4.39% की बढ़त के साथ सबसे ज्यादा मजबूत रहा। टाटा स्टील, टेक महिंद्रा, ट्रेंट और मारुति सुजुकी समेत कई शेयरों में बढ़त रही, वहीं सनफार्मा, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा मोटर्स और पावरग्रिड में गिरावट दर्ज हुई।