Aurangzeb के मकबरे पर भीड़ के हमले का खतरा, सुरक्षा बढ़ी; फोर्स तैनात

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Aurangzeb के मकबरे पर भीड़ का खतरा, फोर्स तैनात; विवाद गहरा, सरकार की सुरक्षा रणनीति

समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के द्वारा Aurangzeb के शासनकाल की तारीफ करने के बाद महाराष्ट्र के संभाजीनगर जिले में स्थित Aurangzeb के मकबरे पर एक बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया है। दक्षिणपंथी संगठनों ने इस मकबरे को ढहा देने की धमकी दी है, जिसके कारण वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस ने अलर्ट जारी करते हुए फोर्स तैनात की है और मकबरे में सीधे प्रवेश पर रोक लगा दी है। इस लेख में हम इस पूरे घटनाक्रम पर गौर करेंगे, जिसमें राज्य और केंद्र सरकार की भूमिका, विपक्ष की प्रतिक्रिया, और सुरक्षा इंतजामों पर प्रकाश डाला जाएगा।

समाजवादी पार्टी के नेता की टिप्पणी और विवाद का आगाज़

समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने हाल ही में Aurangzeb के शासनकाल की तारीफ की थी, जिस पर राजनीतिक और सामाजिक बहस का तूफान उठ खड़ा हुआ। उनके बयान को दक्षिणपंथी नेताओं और संगठनों ने चुनौती दी, और कई नेताओं ने Aurangzeb के मकबरे को ध्वस्त करने की मांग की। इस बयान ने महाराष्ट्र में तात्कालिक तनाव को बढ़ा दिया और अब ये विवाद Aurangzeb के मकबरे तक पहुंच चुका है।

दक्षिणपंथी संगठनों का हमला और धमकियां

दक्षिणपंथी संगठनों ने Aurangzeb के मकबरे को ढहा देने की धमकी दी है। उनका मानना है कि Aurangzeb के शासन के दौरान जो अत्याचार हुए, उनकी यादें इस मकबरे में समाहित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की भूमि पर इस मकबरे के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इस धमकी के बाद पुलिस ने तत्काल सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए और पूरे इलाके में अलर्ट जारी किया।

सुरक्षा की कड़ी तैयारी और पुलिस का अलर्ट

मकबरे पर भीड़ का खतरा होने के कारण पुलिस ने भारी फोर्स तैनात किया है। महाराष्ट्र पुलिस के साथ-साथ स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स (SRPF) को भी तैनात किया गया है। अब किसी को भी मकबरे में बिना जांच के प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, मकबरे के सीधे प्रवेश पर अगले आदेश तक रोक लगाई गई है। पुलिस जवानों को आदेश दिया गया है कि वे किसी भी व्यक्ति को बिना अनुमति के अंदर न जाने दें।

मकबरे के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का विवाद

केंद्र और राज्य सरकार के बीच Aurangzeb के मकबरे को लेकर मतभेद स्पष्ट हो गए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले कहा था कि वे इस मकबरे को खत्म करने के पक्ष में हैं, लेकिन कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस के अनुसार, इस मकबरे को एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) द्वारा संरक्षित किया गया था, और इसे खत्म करना कानूनी रूप से कठिन है। इस मुद्दे ने राजनीतिक दृष्टि से और भी जटिलता पैदा की है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया और चुनावी राजनीति का प्रभाव

विपक्ष का कहना है कि सरकार इस मुद्दे को चुनावी राजनीति के रूप में इस्तेमाल कर रही है। जालना से कांग्रेस के विधायक कल्याण काले ने भी आरोप लगाया कि चुनावों के करीब आने पर ही इस मुद्दे को उठाया गया है। वहीं, उद्धव सेना के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार इस मकबरे के रखरखाव के लिए फंड जारी करती हैं, और अब इस मुद्दे पर विवाद उठाकर लोगों को उकसाने की कोशिश की जा रही है।

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले की प्रतिक्रिया

एनडीए में शामिल केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मकबरे को गिराने की मांग अतिवादिता है और यह इतिहास को बदलने का कोई तरीका नहीं हो सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को इस मकबरे की सुरक्षा करनी चाहिए, न कि इसे ध्वस्त करने का काम करना चाहिए।

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