“Bank को तेजी से हो रहे बदलावों के अनुकूल होना चाहिए: सचिव एम नागराजू”
Bank: वित्तीय सेवायें विभाग (डीएफएस) के सचिव एम नागराजू ने हाल ही में आईबीए के 20वें वार्षिक बैंकिंग प्रौद्योगिकी सम्मेलन, एक्सपो और साइटेशन्स 2025 को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इस सम्मेलन का मुख्य विषय “विकसित भारत के लिए भविष्य के लिए बैंकिंग” था, जिसमें प्रौद्योगिकी की बदलती दुनिया में बैंकिंग क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की गई। सचिव ने Bank से आग्रह किया कि वे तेजी से हो रहे बदलावों के साथ तालमेल बैठाने के लिए अपने कोर सिस्टम को आधुनिक बनाएं और अनुपालन तथा जोखिम उपायों को प्राथमिकता दें ताकि वैश्विक चुनौतियों का सामना किया जा सके।
बैंकिंग क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों के अनुकूल होने की आवश्यकता
सचिव एम नागराजू ने इस बात पर जोर दिया कि बैंकिंग क्षेत्र को आधुनिक समय की जरूरतों और तकनीकी बदलावों के साथ तालमेल बैठाने के लिए अपनी संरचनाओं और कार्यप्रणालियों को लचीला और मजबूत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि Bank को अपने कोर सिस्टम को डिजिटल और स्वचालित बनाने की दिशा में काम करना चाहिए ताकि वे तेजी से बदलते वित्तीय वातावरण के साथ बेहतर तरीके से काम कर सकें। यह बदलाव सिर्फ तकनीकी उन्नति से संबंधित नहीं है, बल्कि इसमें Bank को जोखिम प्रबंधन और अनुपालन की प्रक्रियाओं को भी बेहतर बनाने की जरूरत है।
नवाचारों से प्रेरित भारत का विकसित वित्तीय परिदृश्य
सचिव ने भारत के वित्तीय परिदृश्य में हुए नवाचारों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जिनमें जेएएम (जनधन, आधार, मोबाइल), यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस), ओएनडीसी (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स), और एए (आधार-अथोराइजेशन) फ्रेमवर्क शामिल हैं। इन नवाचारों ने भारत को वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान में अग्रणी बना दिया है। उन्होंने कहा कि इन तकनीकी नवाचारों के जरिए भारत ने अपनी वित्तीय सेवाओं को आम जनता तक पहुंचाया और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक वैश्विक मानक स्थापित किया।
एआई/एमएल का बैंकिंग दक्षता में योगदान
सचिव एम नागराजू ने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और एमएल (मशीन लर्निंग) की भूमिका को भी रेखांकित किया, जो बैंकिंग में दक्षता और ग्राहक सेवा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन तकनीकों का उपयोग करते हुए बैंक ग्राहक सेवा को अधिक व्यक्तिगत और प्रभावी बना सकते हैं। इसके अलावा, इन तकनीकों के जरिए Bank को जोखिमों की पहचान और प्रबंधन में मदद मिलती है, जिससे उनके संचालन की सुरक्षा और दक्षता में सुधार होता है।
विकसित भारत 2047 का विजन
सचिव ने भारत के “विकसित भारत 2047” के विजन पर भी विचार व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने Bank के वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने, ऋण अंतराल को कम करने, और बीमा एवं पेंशन कवरेज का विस्तार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस विजन को साकार करने के लिए Bank को अपने उत्पादों और सेवाओं की पेशकश में और अधिक विविधता लानी होगी और वित्तीय सेवाओं को अधिक सुलभ बनाना होगा। इसके अलावा, Bank को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना होगा।
प्रौद्योगिकी की प्रगति और वित्तीय समावेशन
सचिव ने डीपीआई (डिजिटल पेमेन्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर) और यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) जैसी तकनीकी प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि ये प्रगति वित्तीय समावेशन को सशक्त बना रही हैं। डिजिटल भुगतान और लेंडिंग के नए प्लेटफार्म Bank को ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक अपनी सेवाएं पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से Bank को व्यापक ग्राहकों तक पहुंचने में मदद मिल रही है, जो पहले वित्तीय सेवाओं से बाहर थे।
वर्तमान और भविष्य की चुनौतियां
सचिव ने यह भी बताया कि बैंकिंग क्षेत्र को न केवल तकनीकी बदलावों का सामना करना होगा, बल्कि उन्हें वैश्विक आर्थिक चुनौतियों, जैसे कि मुद्रा संकट, राजनीतिक अस्थिरता, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों के बीच लचीलापन बनाए रखना Bank के लिए महत्वपूर्ण होगा, और इसके लिए उन्हें जोखिम प्रबंधन और अनुपालन उपायों को प्राथमिकता देनी होगी।
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