यूका के कचरे को लेकर कोई चिंता की बात नहीं, विभिन्न स्तरों पर जांच के बाद की गई कार्यवाही: Mohan Yadav

Mohan Yadav

मुख्यमंत्री डॉ. Mohan Yadav का बयान: यूका कचरे को लेकर आशंकाओं का निर्मूलन

Mohan Yadav: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड से निकाले गए रासायनिक कचरे को धार जिले के पीथमपुर भेजे जाने को लेकर उठ रही आशंकाओं पर मुख्यमंत्री डॉ. Mohan Yadav ने स्पष्ट किया है कि यह कदम उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत लिया गया है और इसे लेकर किसी भी प्रकार की चिंता की आवश्यकता नहीं है। Mohan Yadav ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिकों की जांच और विभिन्न स्तरों की निगरानी में की गई है, जिससे यह सुनिश्चित किया गया है कि इससे किसी को भी कोई नुकसान नहीं होगा।

विभिन्न स्तरों पर जांच और अध्ययन की प्रक्रिया

मुख्यमंत्री डॉ. Mohan Yadav ने इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि पीथमपुर भेजे गए लगभग 358 टन कचरे का निपटान विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की सलाह पर किया गया है। उन्होंने बताया कि इस कचरे का 60 फीसदी हिस्सा स्थानीय मिट्टी से संबंधित था, जबकि लगभग 40 फीसदी में 7नेफ्थॉल और अन्य रसायनों से जुड़ा अपशिष्ट था। 7नेफ्थॉल के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह मिथाइल आइसोसायनेट और कीटनाशक बनाने में उपयोगी होता है और वैज्ञानिकों के अनुसार, इसका जहरीलापन 25 वर्षों में पूरी तरह समाप्त हो जाता है। चूंकि भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल हो चुके हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी आशंका को खारिज किया जा सकता है।

दूरगामी वैज्ञानिक शोध और सरकारी हस्तक्षेप

Mohan Yadav ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कचरे के निपटान के लिए भारत सरकार की कई संस्थाओं द्वारा शोध किए गए हैं और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट के आधार पर, उच्चतम न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिए कि इस कचरे का निपटान वैज्ञानिक तरीके से किया जाए और वातावरण पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़े।

इसके बाद, 2013 में केरल के एक संस्थान द्वारा पीथमपुर में कचरे को जलाने का परीक्षण किया गया, और यह प्रक्रिया सफलता से पूरी की गई। बाद में इस रिपोर्ट को न्यायालय में पेश किया गया और इससे संबंधित सभी प्रक्रियाओं को शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में प्रस्तुत किया गया।

न्यायालय की मंजूरी और शांति से कार्यान्वयन

Mohan Yadav ने इस बात को रेखांकित किया कि उच्चतम न्यायालय की मंजूरी के बाद ही सरकार ने इस कचरे का निपटान करने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शासन ने पूरी गंभीरता से कार्य किया है, और हर कदम पर वैज्ञानिकों की सलाह ली गई है। डॉ. Mohan Yadav ने यह भी बताया कि भोपाल से कचरे को पीथमपुर में एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है, और इस प्रक्रिया में कोई भी निर्णय बिना गंभीर अध्ययन और शांतिपूर्ण तरीके से नहीं लिया गया।

राजनीतिक विवाद से बचने की अपील

मुख्यमंत्री डॉ. Mohan Yadav ने इस मुद्दे को लेकर सवाल उठा रहे कांग्रेस नेताओं को आड़े हाथों लिया और उन्हें इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यह समस्या कांग्रेस के शासनकाल में उत्पन्न हुई थी, जब हादसा हुआ और इसके 20 वर्षों तक कांग्रेस की सरकार रही। बावजूद इसके, कांग्रेस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अब भाजपा सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर कार्य कर रही है, और कचरे के निपटान की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है।

सभी जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर काम किया जा रहा है

Mohan Yadav ने यह भी स्पष्ट किया कि पीथमपुर और आसपास के क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों से इस विषय में लगातार संवाद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर इस कदम को उठाया है, और कैलाश विजयवर्गीय को निर्देशित किया गया है कि वे वहां के प्रतिनिधियों से बैठक करें और उन्हें इस पूरी प्रक्रिया के बारे में विश्वास दिलाएं। इस मुद्दे को लेकर कोई भी आशंका नहीं होनी चाहिए, क्योंकि सरकार ने पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लागू किया है।

कचरे का सुरक्षित निपटान और जल प्रदूषण से बचाव

मुख्यमंत्री डॉ. Mohan Yadav ने कहा कि कचरे को जलाने के बाद जो राख बची है, उसे भी सुरक्षित तरीके से कंटेनर में रखा जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उसका जल प्रदूषण से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य जनता को किसी भी प्रकार की हानि से बचाना है। सरकार ने इस कचरे के निपटान के लिए पूरी गंभीरता से कदम उठाए हैं और इसके हर पहलू पर विशेषज्ञों का मार्गदर्शन लिया है।

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