Blinken ने ट्रंप की ग्रीनलैंड पर कब्जे की योजना को खारिज किया

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Blinken ने डोनाल्ड ट्रंप की ग्रीनलैंड पर कब्जे की योजना को खारिज किया, कहा ‘ऐसा नहीं होने वाला है’

अमेरिकी विदेश मंत्री Blinken ने हाल ही में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ग्रीनलैंड पर कब्जा करने की योजना को पूरी तरह से खारिज कर दिया। पेरिस में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान Blinken ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह विचार “अच्छा नहीं” है और यह कभी वास्तविकता नहीं बनेगा। उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे पर ज्यादा समय नष्ट करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह विचार “स्पष्ट रूप से नहीं होने वाला है।”

ट्रंप का ग्रीनलैंड पर कब्जे का विचार

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने 2019 में ग्रीनलैंड को खरीदने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसके बाद यह विचार काफी विवादास्पद हो गया था। ट्रंप ने इसे एक रणनीतिक कदम के रूप में प्रस्तुत किया था, जो अमेरिका के हितों के लिए लाभकारी हो सकता था। हालांकि, ग्रीनलैंड, जो डेनमार्क का स्वायत्त क्षेत्र है, ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह से नकार दिया था। डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने इसे “अजीब” करार दिया था, जबकि ग्रीनलैंड के अधिकारियों ने भी इसे नकारात्मक रूप से लिया था।

ट्रंप की योजना को लेकर विश्वभर में बहुत चर्चा हुई थी, और इस पर आलोचनाओं की झड़ी लग गई थी। ट्रंप ने हालांकि इस विवाद के बावजूद ग्रीनलैंड के महत्व पर जोर दिया और इसे अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक क्षेत्र बताया। फिर भी, अमेरिका के करीबी सहयोगी देशों ने इस प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया, और यह जल्दी ही एक राजनीतिक मुठभेड़ बन गया।

Blinken का विरोध और स्थिति

Blinken ने पेरिस में फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने ग्रीनलैंड के मामले को एक “नकली” और “बेहद अस्वीकार्य” विचार बताया। उनका मानना था कि इस तरह के विचारों से अमेरिका की विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह मुद्दा पूरी तरह से खत्म हो चुका है और अब इस पर अधिक चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

Blinken की यह टिप्पणी इस बात का संकेत देती है कि अमेरिका की विदेश नीति अब इस विचार से पूरी तरह से अलग हो चुकी है। राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन के दौरान, विदेश नीति में कई बार ऐसे विवादित विचारों ने जगह बनाई थी, जिनका विरोध न केवल डेनमार्क और ग्रीनलैंड ने किया था, बल्कि यूरोपीय और अन्य वैश्विक नेताओं ने भी इसकी आलोचना की थी। Blinken ने यह भी कहा कि अमेरिका को अब इन पुरानी विचारों से आगे बढ़ने की जरूरत है और इस प्रकार के मुद्दों पर समय बर्बाद करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

फ्रांस और यूरोप का रुख

Blinken: फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने भी इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड “यूरोपीय संघ और यूरोप का क्षेत्र” है, और इस पर किसी प्रकार का कब्जा करने का विचार पूरी तरह से गलत है। उनका यह बयान यह स्पष्ट करता है कि यूरोपीय देशों के लिए ग्रीनलैंड का भू-राजनीतिक महत्व है, और इसे किसी एक देश के नियंत्रण में लेने का विचार यूरोप की एकजुटता और सुरक्षा के लिए खतरे की तरह देखा जाता है।

बैरोट का कहना था कि ग्रीनलैंड के बारे में विचार करने का सही तरीका यह है कि इसे सम्मान और सहयोग के साथ देखा जाए, न कि किसी प्रकार के अधिग्रहण के रूप में। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों का यह भी मानना है कि ग्रीनलैंड का भविष्य उसके लोगों की इच्छा और स्वायत्तता पर निर्भर होना चाहिए, न कि किसी बाहरी ताकत के द्वारा उसे नियंत्रित करने पर।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और विवाद

Blinken: ग्रीनलैंड पर ट्रंप की योजना को लेकर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया मिश्रित रही थी। डेनमार्क और ग्रीनलैंड के नेताओं ने इसका खुलकर विरोध किया था और इसे एक अस्वीकार्य विचार करार दिया था। ग्रीनलैंड ने यह स्पष्ट किया था कि वह अपनी स्वायत्तता को बनाए रखना चाहता है और किसी बाहरी ताकत के नियंत्रण में नहीं आना चाहता। वहीं, डेनमार्क ने भी इस मामले पर ट्रंप के विचारों को असम्मानजनक और गलत बताया था।

इस विवाद ने अमेरिका और डेनमार्क के रिश्तों में असहमति की स्थिति उत्पन्न की थी। हालांकि, बाद में ट्रंप ने इस विवाद को शांत करने के प्रयास किए और ग्रीनलैंड पर अपने प्रस्ताव को रद्द कर दिया। फिर भी, यह घटना अमेरिकी विदेश नीति के भीतर एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी गई, जो वैश्विक कूटनीति और अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर प्रभाव डालती है।

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