जो बाइडन ने ISRAEL और HEZBOLLAH के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की: 13 महीनों बाद युद्ध थमने की संभावना
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ISRAEL और ईरान समर्थित HEZBOLLAH के बीच युद्धविराम समझौते की घोषणा की है, जिससे दोनों पक्षों के बीच पिछले 13 महीनों से चल रही हिंसा और संघर्ष थमने की संभावना जताई जा रही है। यह समझौता, जिसे अमेरिका और फ़्रांस के संयुक्त बयान के तहत लाया गया, एक ऐतिहासिक कदम है जो न केवल ISRAEL और HEZBOLLAH के बीच के संघर्ष को रोकने का प्रयास करेगा, बल्कि लेबनान में जारी युद्ध को भी समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
समझौते के मुख्य बिंदु
इस समझौते के तहत, HEZBOLLAH को अगले 60 दिनों के भीतर अपने लड़ाकों और हथियारों को ब्लू लाइन (इसराइल और लेबनान की सीमा) के दोनों ओर से हटा लेना होगा। इसके बाद, इन इलाकों में लेबनान की सैन्य तैनाती होगी, जो यह सुनिश्चित करेगी कि HEZBOLLAH का इंफ्रास्ट्रक्चर और हथियार पूरी तरह से हटा दिए जाएं और भविष्य में इन क्षेत्रों में फिर से उनका पुनर्निर्माण न हो। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे स्थायी युद्धविराम के रूप में पेश किया और यह भी कहा कि इस समझौते से ISRAEL पर हिज़्बुल्लाह और अन्य आतंकवादी संगठनों के हमले का खतरा टल जाएगा।
लेबनान में शांति की दिशा में कदम
समझौते के बाद, ISRAEL और HEZBOLLAH के बीच की हिंसा में कमी आएगी, जिससे लेबनान के नागरिकों को राहत मिलेगी। बाइडन ने यह भी घोषणा की कि इस समझौते से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आम नागरिकों को उनकी घरों में लौटने का अवसर मिलेगा, खासकर उन इलाकों में जो सीमा से सटे हुए हैं। युद्धविराम की शर्तों के अनुसार, लेबनान के सैनिक हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों की जगह लेंगे, और यह सुनिश्चित करेंगे कि इन क्षेत्रों से HEZBOLLAH के हमले और आतंकवादी गतिविधियों का खतरा पूरी तरह से समाप्त हो जाए।
ISRAEL के सैनिकों की वापसी
समझौते के तहत, ISRAEL अपने सैनिकों और नागरिकों को धीरे-धीरे उन क्षेत्रों से वापस बुलाएगा, जहां वे तैनात थे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि यह प्रक्रिया 60 दिनों में पूरी होगी, जिसके बाद इन क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करने का प्रयास किया जाएगा। इस दौरान, दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करेंगे कि युद्ध से प्रभावित लोग शांति से अपने घरों में लौट सकें। इस कदम का उद्देश्य संघर्ष क्षेत्र के नागरिकों को राहत देना और उन्हें अपने जीवन को फिर से सामान्य रूप से जीने का अवसर प्रदान करना है। यह कदम ISRAEL और HEZBOLLAH के बीच तनाव को कम करने और शांति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। हालांकि, यह देखना होगा कि क्या यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी होती है और क्षेत्र में स्थायित्व कायम हो पाता है।

यह युद्धविराम समझौता कितनी प्रभावी होगा?
वर्तमान समय में, ISRAEL और हिज़्बुल्लाह के बीच का संघर्ष एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा रहा है। दोनों पक्षों के बीच इतिहास में कई बार संघर्ष हुआ है, और हाल के महीनों में बढ़ते तनाव ने क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाला था। जबकि युद्धविराम समझौता एक सकारात्मक कदम है, यह सवाल उठता है कि क्या यह शांति स्थायी हो सकेगी।
ISRAEL और HEZBOLLAH दोनों के बीच राजनीतिक और रणनीतिक मतभेद बहुत गहरे हैं, और उनके बीच विश्वास की कमी है। इसके अलावा, HEZBOLLAH का ईरान से समर्थन और उसका क्षेत्रीय प्रभाव भी एक बड़ा कारक है, जिसे देखते हुए इस युद्धविराम समझौते की सफलता पर शंका की जा सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
इस युद्धविराम समझौते में अमेरिका और फ़्रांस की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, और इन दोनों देशों ने इसे सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है। हालांकि, यह देखना होगा कि इन शक्तियों का दबाव कितना प्रभावी रहेगा और क्या वे इस समझौते को लागू कराने में सक्षम होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का यह कर्तव्य है कि वे इस समझौते को मजबूती से लागू कराने में मदद करें, ताकि दोनों पक्षों के बीच स्थायी शांति की दिशा में एक कदम और बढ़ाया जा सके।

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