अजमेर में विभाजन विभीषिका पर सांस्कृतिक संध्या

By admin
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राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद और सिंधी शिक्षा विकास समिति अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में विभाजन विभीषिका की पूर्व संध्या पर एक विशेष सांस्कृतिक और नाट्य कार्यक्रम जर्नी ऑफ सिंधीस का आयोजन जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार में किया गया।

सिंधी शिक्षा विकास समिति के महासचिव घनश्याम भगत ने बताया कि राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद नई दिल्ली और शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और विशिष्ट अतिथि इंटरनेशनल प्रेसिडेंट विश्व सिंधी सेवा संगठन राजू विजय मनवाणी रहे। राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद के सदस्य मनीष देवनानी और सम्राट पृथ्वीराज चौहान महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य हासो दादलानी ने भी अपने विचार साझा किए।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि सिंधी समाज के लिए संघर्ष हमेशा एक परंपरा रही है। इसी संघर्ष से सफलता प्राप्त करना प्रत्येक सिंधी व्यक्ति के जीवन का हिस्सा है। समय-समय पर सामने आने वाली चुनौतियों से मुकाबला कर स्वयं को स्थापित करना इस समाज की विशेषता है। विभाजन की सबसे अधिक पीड़ा इसी समाज ने झेली है और इसे याद करते ही उस समय के लोगों की आंखें नम हो जाती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसे महसूस किया और इसी के परिणामस्वरूप विभाजन विभीषिका दिवस मनाया जा रहा है ताकि नई पीढ़ी को विभाजन के दर्द की अनुभूति हो और उनमें राष्ट्रीय भक्ति की भावना प्रबल हो।

देवनानी ने कहा कि सिंधी समाज हमेशा कर्मठ और मेहनती रहा है और यह मेहनत राष्ट्रहित में समर्पित रही है। देश के प्रति प्रेम के भाव ने हेमु कालाणी जैसे व्यक्तियों को अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए प्रेरित किया। आज भी सिंधी समाज राष्ट्र के लिए अधिकतम योगदान देने के लिए तत्पर है।

उन्होंने बताया कि समय के साथ अजमेर में भी परिवर्तन हुए हैं। गुलामी के प्रतीकों के नाम बदलकर उन्हें भारतीय संदर्भ में ढाला गया है। फॉयसागर का नाम वरुण सागर किया गया है। किंग एडवर्ड मेमोरियल अब महर्षि दयानंद सरस्वती विश्रांति गृह के नाम से जाना जा रहा है। होटल खादिम का नाम बदलकर होटल अजयमेरू रखा गया है।

सांस्कृतिक संध्या में देवांश एंटरटेनमेंट के कलाकार मोहित शेवानी और उनकी टीम ने विभाजन विभीषिका पर आधारित नाट्य मंचन प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में 1947 के विभाजन के दौरान सिंधी समाज को झेलनी पड़ी कठिनाइयों, विस्थापन के दर्द, संघर्ष की कहानी और स्वतंत्र भारत के राष्ट्र निर्माण में सिंधी समाज के अमूल्य योगदान को दर्शाया गया। इसके अतिरिक्त स्वामी सर्वानंद विद्यालय और हरि सुंदर बालिका विद्यालय के बच्चों ने देशभक्ति नृत्य प्रस्तुत किया और लोकगायक घनश्याम भगत ने लोकगीतों की प्रस्तुति दी।

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