Delhi विधानसभा चुनाव: भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर
Delhi में विधानसभा चुनाव का समय करीब आ चुका है, और अब से 24 घंटे बाद वोट डाले जाएंगे। इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई जा रही है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP ने पिछले 10 वर्षों में कई चुनावी जीतें दर्ज की हैं, लेकिन अब उनकी सरकार पर एंटी-इंकम्बेंसी का असर देखने को मिल रहा है। वहीं, भाजपा इस चुनाव को एक सुनहरा मौका मानते हुए अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगी है।
संघ का समर्थन: भाजपा के लिए एक मजबूत सहारा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का भाजपा को इस चुनाव में पूरा समर्थन मिल रहा है। संघ ने Delhi विधानसभा चुनाव की तैयारी पहले से ही शुरू कर दी थी और अपनी रणनीति को मजबूती से तैयार किया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, संघ ने Delhi के विभिन्न इलाकों में 50 हजार से अधिक मीटिंग की हैं और राजधानी के प्रत्येक मतदाता तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
संघ की रणनीति: वार्ड लेवल मीटिंग्स
संघ ने चुनाव से पहले अपनी पूरी टीम को सक्रिय कर दिया था। संघ के आठों विभागों के कार्यकर्ताओं से बंद कमरे में मीटिंग करने को कहा गया था। ये मीटिंग्स मोहल्लों, ऑफिसों, संस्थाओं, शॉपिंग सेंटरों, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य इलाकों में आयोजित की गईं। संघ का लक्ष्य 60 हजार मीटिंग्स आयोजित करने का था, और इसके लिए प्रचार-प्रसार के साथ विभिन्न कार्यकर्ताओं को भी जिम्मेदारियां दी गईं।
मुहल्ले से लेकर कॉलेजों तक सक्रियता
संघ का ध्यान इस बार महज बड़े कार्यक्रमों तक सीमित नहीं था, बल्कि छोटे-छोटे समूहों में भी संवाद स्थापित किया गया। मोहल्ले, ऑफिस, शॉपिंग मॉल्स, स्कूल और कॉलेज जैसे क्षेत्रों में व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क बनाए गए। संघ ने प्रत्येक स्तर पर मतदाताओं से फीडबैक लिया और इस फीडबैक को उच्च स्तर तक पहुंचाया। नगर, जिला और विभाग स्तर पर नियमित मीटिंग्स का आयोजन किया गया, ताकि सभी कार्यकर्ता एक ही दिशा में काम कर सकें।
संघ की सक्रियता: हरियाणा और महाराष्ट्र में सफलता की कहानी
संघ ने पहले भी राज्य विधानसभा चुनावों में इस प्रकार की सक्रियता दिखाई थी। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में संघ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही थी, और चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि संघ की रणनीति की वजह से भाजपा को शानदार जीत मिली। अब संघ वही रणनीति Delhi में भी अपनाने की कोशिश कर रहा है, और भाजपा की उम्मीदें इस पर टिकी हैं।
भाजपा का चुनावी अभियान: संघ और पार्टी की संयुक्त ताकत
भा.ज.पा. ने संघ के समर्थन के साथ Delhi में अपने चुनावी अभियान को और मजबूत किया है। पार्टी ने 2015 और 2020 के चुनावों से भी अधिक मेहनत की है। भाजपा का फोकस Delhi के हर एक वोटर तक पहुंचने पर है, और पार्टी ने इस चुनाव के लिए प्रचार सामग्री, रैलियों और रोड शो का भी आयोजन किया है। भाजपा की रणनीति स्पष्ट है कि वह आम आदमी पार्टी को उनके शासन के 10 सालों का हिसाब देगी, जो उनके खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी का कारण बन चुका है।
केजरीवाल के सामने चुनौती: एंटी-इंकम्बेंसी फैक्टर
अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी AAP के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती एंटी-इंकम्बेंसी है। पिछले 10 वर्षों में, Delhi की जनता ने AAP को कई बार वोट दिया, लेकिन अब एक ऐसी स्थिति बन चुकी है, जिसमें लोग अपनी उम्मीदों पर खरा न उतरने के कारण नाखुश हो सकते हैं। केजरीवाल के नेतृत्व में Delhi सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में बड़े सुधार किए थे, लेकिन कुछ मुद्दों पर उनकी सरकार की नीतियों को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
भाजपा का ध्यान ‘दिल्ली मॉडल’ पर हमला करने पर
भा.ज.पा. ने ‘दिल्ली मॉडल’ पर हमला बोलने की रणनीति बनाई है। पार्टी का आरोप है कि AAP ने पिछले 10 वर्षों में दिल्ली की जनता से वादे तो किए थे, लेकिन उनका पालन नहीं किया। भाजपा Delhi में मंहगाई, ट्रैफिक, और बुनियादी ढांचे की समस्याओं को चुनावी मुद्दे बना रही है। वहीं, पार्टी का यह भी कहना है कि AAP की सरकार ने केंद्र सरकार से मिले फंड का सही तरीके से उपयोग नहीं किया और दिल्ली की जनता को केवल सपने दिखाए हैं।
संघ का प्रभाव: क्या होगा चुनाव परिणाम पर असर?
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि संघ की सक्रियता का Delhi विधानसभा चुनाव पर काफी असर पड़ेगा। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में संघ की सक्रिय भूमिका ने भाजपा को बड़ी जीत दिलाई थी। अब Delhi में भी संघ के अभियान की पूरी ताकत भाजपा के चुनावी अभियान में नजर आ रही है। हालांकि, इस बार केजरीवाल की पार्टी भी अपनी पूरी ताकत लगा रही है, लेकिन भाजपा के मुकाबले उनकी चुनौती कहीं अधिक कठिन हो सकती है।
आखिरी फैसला: Delhi के मतदाता
अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि Delhi के मतदाता किसे चुनते हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों के पास अपनी-अपनी रणनीतियां हैं, लेकिन किसकी जीत होगी, यह केवल चुनाव परिणामों पर निर्भर करेगा। Delhi के चुनावी मैदान में बीजेपी और AAP के बीच कांटे की टक्कर तय हो गई है, और हर एक वोट अहम होगा।
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