Delhi सरकार पर HC की कड़ी टिप्पणी: सीएजी रिपोर्ट्स पर देरी से ईमानदारी पर संदेह
Delhi विधानसभा चुनाव के बीच, Delhi सरकार पर उच्च न्यायालय ने गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की 14 रिपोर्ट्स विधानसभा में प्रस्तुत करने में हुई देरी के लिए आलोचना की। इस दौरान, कोर्ट ने सरकार की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि रिपोर्ट्स को विधानसभा में पेश करने में सरकार की अनिच्छा से संदेह उत्पन्न हो रहा है।
सीएजी रिपोर्ट्स पर अदालत की सख्त टिप्पणी
Delhi उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने सीएजी रिपोर्ट्स को लेकर सरकार की निष्क्रियता पर सवाल खड़ा किया। कोर्ट ने कहा, “जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह उत्पन्न होता है।” कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार को रिपोर्ट्स को तुरंत विधानसभा स्पीकर को भेजना चाहिए था और इस पर सदन में चर्चा शुरू करनी चाहिए थी।
अदालत ने Delhi सरकार की आलोचना करते हुए यह भी कहा कि सरकार को रिपोर्ट्स को विधानसभा में भेजने में सक्रियता दिखानी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा, “टाइमलाइन एकदम साफ है, आपने विधानसभा सत्र बुलाने में कदम पीछे खींचे हैं और एलजी के पास रिपोर्ट भेजने में देरी की है।”
सीएजी रिपोर्ट्स लीक होने के बाद सरकार की भूमिका पर सवाल
सीएजी की दो रिपोर्ट्स हाल ही में मीडिया में लीक हो चुकी हैं। इन रिपोर्ट्स में Delhi के मुख्यमंत्री के बंगले पर करोड़ों रुपए के खर्च और शराब नीति से सरकार के खजाने को 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान होने का दावा किया गया है। मीडिया में इन रिपोर्ट्स के लीक होने के बाद, कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए और सरकार की ईमानदारी पर संदेह जताया।
Delhi सरकार की प्रतिक्रिया
Delhi सरकार ने अदालत के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि चुनाव के नजदीक विधानसभा सत्र बुलाना मुश्किल था। सरकार ने यह भी बताया कि सीएजी रिपोर्ट्स को स्पीकर के पास भेज दिया गया था, लेकिन चुनावी दौर में विधानसभा सत्र की संभावना कम थी।
सरकार ने यह तर्क दिया कि विधानसभा सत्र के बिना रिपोर्ट्स पर चर्चा करना मुश्किल था, और आगामी चुनावों के कारण तत्काल सत्र बुलाना संभव नहीं था।
भा.ज.पा. की लगातार मांग
भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने सीएजी रिपोर्ट्स को विधानसभा में पेश करने की बार-बार मांग की है। पार्टी का कहना है कि इन रिपोर्ट्स में कई गंभीर मुद्दे सामने आए हैं, जैसे सरकारी खर्चे, नीतियों के प्रभाव और वित्तीय अनुशासन की स्थिति, जिन पर सदन में चर्चा होनी चाहिए।
भाजपा ने अदालत में यह मामला उठाया और आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने वर्षों से इन रिपोर्ट्स को लंबित रखा है, जबकि इन्हें समय पर विधानसभा में पेश किया जाना चाहिए था, ताकि इन मुद्दों पर गंभीर चर्चा और समाधान हो सके।
कोर्ट द्वारा दी गई दिशा-निर्देश
Delhi हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार, स्पीकर और अन्य संबंधित पक्षों से इस मामले में जवाब मांगा था और अदालत ने यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि रिपोर्ट्स को जल्द से जल्द विधानसभा में पेश किया जाए। अदालत ने Delhi सरकार को निर्देश दिया कि वो इस मुद्दे पर अपनी प्रक्रिया में तेजी लाए, ताकि जनहित में इन रिपोर्ट्स का सही समय पर विचार किया जा सके।
आगे का रास्ता
Delhi सरकार के लिए यह मामला महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विधानसभा चुनाव के मध्य में सामने आया है, और इससे उसकी छवि पर असर पड़ सकता है। अदालत ने सरकार से स्पष्ट किया कि अगर विधानसभा सत्र को लेकर कोई औपचारिक समस्या हो तो उसे जल्दी हल करना होगा और इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
अदालत की यह टिप्पणी यह संकेत देती है कि सरकार को अपनी जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर संजीदगी दिखानी होगी।
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