सीहोर में कारोबारी मनोज परमार और पत्नी की आत्महत्या: ED की छापेमारी और मानसिक दबाव के आरोप
सीहोर जिले के आष्टा में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब कारोबारी मनोज परमार और उनकी पत्नी नेहा का शव शुक्रवार सुबह उनके घर में फंदे से लटका मिला। यह घटना उस समय हुई जब आठ दिन पहले 5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनोज परमार के इंदौर और सीहोर स्थित चार ठिकानों पर छापेमारी की थी। ED की इस कार्रवाई के बाद से मनोज परमार और उनका परिवार तनाव में था, और परमार को लेकर कई अफवाहें फैलने लगी थीं।
ED की छापेमारी और धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी
ED ने परमार के खिलाफ पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में 6 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में जांच शुरू की थी। छापेमारी में कई बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज और लगभग 3.5 लाख रुपये का बैंक बैलेंस जब्त किया गया था। इसके बाद मनोज परमार को गिरफ्तार भी किया गया था, और उनके खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप तय किए गए थे। ED द्वारा की गई यह कार्रवाई परमार और उनके परिवार पर भारी पड़ रही थी, और इससे उनका मानसिक तनाव और बढ़ गया था।
राजनीतिक संदर्भ: गुल्लक भेंट और भाजपा के आरोप
मनोज परमार वह शख्स थे जिन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को न्याय यात्रा के दौरान गुल्लक भेंट की थी। इस घटना के बाद से वह चर्चा में आ गए थे, और कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि उन्हें भाजपा के निशाने पर लिया गया। कांग्रेस का दावा था कि मनोज परमार की छापेमारी और गिरफ्तारी के पीछे भाजपा का राजनीतिक दबाव था, जो राहुल गांधी को समर्थन देने के कारण उन्हें परेशान कर रहा था। हालांकि भाजपा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और इसे व्यक्तिगत मामला बताया।
सुसाइड नोट और पुलिस की जांच
पुलिस के अनुसार, घटना स्थल से एक पांच पेज का सुसाइड नोट मिला है, लेकिन पुलिस ने इस नोट में लिखी जानकारी को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। यह नोट जांच के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे मनोज परमार और उनकी पत्नी के मानसिक तनाव और आत्महत्या के कारणों को समझने में मदद मिल सकती है। SDOP आकाश अमलकर ने बताया कि पुलिस जांच कर रही है और इस मामले को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान देने से पहले वे सभी तथ्यों की जांच करेंगे।
बेटे का बयान: ED द्वारा मानसिक दबाव का आरोप
मनोज परमार के तीन बच्चे हैं – बेटी जिया (18), बेटा जतिन (16), और यश (13)। जतिन ने इस घटना के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, “ED वालों ने हमारे माता-पिता पर मानसिक दबाव डाला था। इसके कारण ही उन्होंने यह कदम उठाया।” जतिन के बयान से यह साफ है कि वह इस घटना को ED की कार्रवाई और मानसिक दबाव से जोड़ रहे हैं।
मनोज परमार के भाई और हर्षपुर के सरपंच राजेश परमार ने भी इसी तरह का बयान दिया। उन्होंने बताया कि मनोज को ED के लगातार दबाव से मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। राजेश ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया था, और इस दबाव के चलते मनोज ने आत्महत्या का कदम उठाया।
कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने राजनीतिक बदले की भावना से मनोज परमार को परेशान किया, जिससे उन्होंने आत्महत्या कर ली। कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में ED की कार्रवाई के पीछे भाजपा की राजनीतिक साजिश हो सकती है। दूसरी ओर, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया और इसे एक व्यक्तिगत मामला बताया। भाजपा ने कहा कि ED की कार्रवाई कानून के तहत की गई थी, और इस घटना को राजनीति से जोड़ना गलत है।
मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल और संवेदनशीलता की आवश्यकता
यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है – क्या जांच एजेंसियां किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखती हैं? मनोज परमार के परिवार और रिश्तेदारों के अनुसार, वह कई महीनों से ED की कार्रवाई के दबाव में थे और लगातार मानसिक परेशानी महसूस कर रहे थे। यह घटना यह भी बताती है कि आर्थिक और राजनीतिक दबाव किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं, और ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
पुलिस की जांच और परिवार का बयान
पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि सुसाइड नोट की जांच की जा रही है और अन्य सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा। परिवार ने जांच एजेंसियों से निष्पक्ष जांच की अपील की है ताकि इस घटना के वास्तविक कारणों का पता चल सके। परिवार का कहना है कि वे चाहते हैं कि इस मामले में पूरी पारदर्शिता हो और सच सामने आए।
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