महाराष्ट्र: राकांपा विधायक उत्तम जानकर ने शरद पवार से EVM मुद्दे पर की मुलाकात
EVM: महाराष्ट्र के मालशिरस विधानसभा क्षेत्र से राकांपा (SP) विधायक उत्तम जानकर ने हाल ही में एक विवादास्पद मुद्दे पर पार्टी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। यह मुद्दा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के उपयोग और उसकी विश्वसनीयता से जुड़ा था। जानकर ने रविवार को अपने गृहनगर बारामती में शरद पवार से मुलाकात की और उन्हें EVM पर अपनी चिंताओं से अवगत कराया। जानकर ने दावा किया कि विधानसभा चुनावों में EVM के साथ छेड़छाड़ की गई है और उन्होंने इसे लेकर एक गहन अध्ययन किया है।
EVM पर उठाए गए सवाल
जानकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में स्थित मरकडवाडी गांव में उन्होंने एक नकली चुनाव कराने की योजना बनाई थी, जिसमें मतपत्र का उपयोग किया जाना था, लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के कारण इसे अंजाम नहीं दिया जा सका। जानकर ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने इस प्रक्रिया के तहत EVM की कार्यप्रणाली का अध्ययन किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि राज्य विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ था।
उत्तम जानकर ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि अगर चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से होते, तो महागठबंधन में शामिल तीनों पार्टियां काफी अधिक सीटों पर विजय प्राप्त कर सकती थीं। उनका यह दावा था कि चुनावी प्रक्रिया में ईवीएम के प्रभाव के कारण परिणाम प्रभावित हुए थे।
पवार से मुलाकात और EVM छेड़छाड़ के आरोप
शरद पवार के साथ बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए, उत्तम जानकर ने EVM के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए और यह दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, शरद पवार और भारतीय चुनाव आयोग को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। जानकर ने कहा, “हमारे द्वारा की गई गहन जांच से पता चला कि राज्य के लगभग 150 विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की गई है।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि राकांपा (एपी) के अध्यक्ष अजीत पवार ने राज्य विधानसभा चुनाव में 20,000 वोटों से जीत हासिल की, जो कि एक संदेहास्पद प्रक्रिया हो सकती है। जानकर ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि मतदान बैलेट पेपर से किया जाता, तो अजीत पवार की पार्टी के केवल 12 विधायक, एकनाथ शिंदे की सेना के 18 विधायक और भाजपा के केवल 77 विधायक निर्वाचित हो सकते थे।
महागठबंधन की ताकत का दावा
जानकर ने यह भी कहा कि यदि मतपत्र से चुनाव कराए जाते, तो महागठबंधन की कुल ताकत 107 तक पहुंच सकती थी और दो या तीन निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ यह संख्या 110 के आसपास हो सकती थी। उनका कहना था कि इस तरह, महागठबंधन को पर्याप्त संख्या में सीटें मिल सकती थीं और उनका दावा था कि चुनावी परिणाम विभिन्न कारणों से प्रभावित हुए थे, जिनमें मुख्य रूप से ईवीएम के संचालन में छेड़छाड़ शामिल थी।
EVM के विश्वसनीयता पर सवाल
उत्तम जानकर द्वारा उठाए गए EVM के मुद्दे ने राज्य और देश के चुनावी परिप्रेक्ष्य में एक नया विवाद उत्पन्न किया है। कई राजनीतिक विश्लेषकों ने इस बात पर विचार किया है कि अगर EVM पर विश्वास को लेकर सवाल उठाए जाते हैं, तो यह चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर सकता है। जानकर द्वारा लगाए गए आरोपों ने चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर गंभीर चिंताओं को जन्म दिया है, जिसे जल्द ही हल करने की आवश्यकता है।
EVM पर विपक्षी दलों का रुख
यह कोई पहला मामला नहीं है जब EVM पर सवाल उठाए गए हों। इससे पहले भी कई विपक्षी दलों ने चुनाव परिणामों के बाद EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे। विपक्षी दलों का कहना है कि EVM के जरिए चुनाव परिणामों में अनहोनी और अप्रत्याशित परिणाम आ सकते हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर आंच आती है।
जानकर के आरोपों के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि विपक्षी दल एकजुट होकर इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाएंगे। इस बीच, चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके द्वारा दी जाने वाली प्रतिक्रिया को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं।
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