शरद पवार ने मर्करवाडी में EVM पर उठाए सवाल, बैलट पेपर की मांग की
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक और महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने हाल ही में मर्करवाडी गांव का दौरा किया और इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाए। उन्होंने बैलट पेपर के माध्यम से मतदान की जरूरत की वकालत की और पूछा कि अगर पूरी दुनिया बैलट पेपर से चुनाव कर रही है, तो भारत में ईवीएम का इस्तेमाल क्यों हो रहा है। पवार की ये टिप्पणियां उस समय आईं, जब देशभर में EVM से संबंधित विवाद और चिंताएं बढ़ रही हैं।
शरद पवार ने मर्करवाडी के गांववासियों से मुलाकात करते हुए कहा, “दुनिया भर में बैलट पेपर से चुनाव हो रहे हैं, तो हमारे यहां क्यों नहीं? हम क्यों EVM से चुनाव कर रहे हैं?” उनका यह बयान एक ऐसे समय पर आया है जब भारतीय चुनावों में EVM की विश्वसनीयता पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। पवार के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, जहां वह बैलट पेपर के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं।
बैलट पेपर के पक्ष में शरद पवार
मर्करवाडी गांव में एक मॉक पोल का आयोजन किया गया था, जिसमें लोगों ने बैलट पेपर के माध्यम से मतदान की मांग की थी। यह मॉक पोल NCP (सपा) के उम्मीदवारों के पक्ष में किया गया था, जिसमें लोग यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे कि ईवीएम में जितने वोट एनसीपी को मिले हैं, उससे अधिक वोट बैलट पेपर से मिल सकते हैं। हालांकि, पुलिस ने हस्तक्षेप किया और इस आयोजन को रोक दिया। पुलिस ने मॉक पोल करने वालों पर मामला भी दर्ज किया था।
शरद पवार ने इस मॉक पोल का समर्थन किया और इसको लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत एक अधिकार बताया। उनका कहना था कि यदि लोग बैलट पेपर से वोट देना चाहते हैं तो यह उनका मौलिक अधिकार है। पवार का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह लंबे समय से ईवीएम के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करते रहे हैं, और यह सवाल उठाते रहे हैं कि क्या ये मशीनें पूरी तरह से सुरक्षित और विश्वसनीय हैं।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
शरद पवार के ईवीएम पर सवाल उठाने के बाद भाजपा ने प्रतिक्रिया दी और उन्हें हार स्वीकार करने की सलाह दी। बीजेपी के नेताओं ने पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि कोई नेता हार स्वीकार नहीं कर पा रहा है, तो वह तरह-तरह के बहाने गढ़ने की कोशिश करता है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि शरद पवार को यह स्वीकार करना चाहिए कि उनकी पार्टी चुनाव हार चुकी है और अब उन्हें इस बात को लेकर किसी तरह का विवाद खड़ा नहीं करना चाहिए।
बीजेपी के प्रवक्ता ने कहा, “यह हार की विफलता को स्वीकार न कर पाने का नतीजा है। अगर शरद पवार को बैलट पेपर की इतनी चिंता है, तो उन्हें चुनाव आयोग से इस बारे में बात करनी चाहिए। हम तो पूरी तरह से ईवीएम की विश्वसनीयता पर विश्वास करते हैं।” बीजेपी ने पवार की टिप्पणियों को विपक्षी दलों द्वारा अपने हार के कारणों को छुपाने का एक तरीका बताया।
EVM विवाद और मतदाता विश्वास
EVM का मुद्दा भारतीय राजनीति में एक लंबे समय से विवादित रहा है। कई विपक्षी नेता और राजनीतिक दल ईवीएम के खिलाफ शिकायतें करते रहे हैं, और उनके मुताबिक, यह तकनीकी रूप से सुरक्षित नहीं है। चुनावों में मतदाता के विश्वास को बढ़ाने के लिए बैलट पेपर के इस्तेमाल की मांग कई बार की गई है, खासकर जब चुनाव परिणामों में किसी पार्टी को कम वोट मिलने पर विवाद उठता है।
इसके बावजूद, चुनाव आयोग और कई विशेषज्ञों का कहना है कि EVMs पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं की जा सकती। चुनाव आयोग ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि EVMs पूरी तरह से परीक्षण की प्रक्रिया से गुजरती हैं और इसमें किसी प्रकार की धोखाधड़ी का कोई मौका नहीं होता। हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि यह प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।
मर्करवाडी की मॉक पोल और उसकी अहमियत
मर्करवाडी गांव में हुई मॉक पोल की घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गांव उस समय चर्चा में आया था जब इसने बैलट पेपर के माध्यम से मतदान की मांग की थी। मॉक पोल का आयोजन राजनीतिक रूप से संवेदनशील समय में किया गया था, खासकर तब जब राज्य और राष्ट्रीय चुनावों के परिणामों को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे।
पवार का कहना है कि चुनावों की विश्वसनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बैलट पेपर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि मतदाता को यह विश्वास हो सके कि चुनाव पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से हुए हैं। उनका यह कदम एक नई बहस को जन्म देता है कि क्या भारत को भविष्य में बैलट पेपर के इस्तेमाल की ओर लौटना चाहिए, या फिर ईवीएम के साथ ही आगे बढ़ना चाहिए।
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