राजस्थान में बर्ड फ्लू का फैलाव: Gehlot की चेतावनी और अधिकारियों से सावधानी बरतने की अपील
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Gehlot ने प्रदेश में पक्षियों में बर्ड फ्लू के फैलने के समाचार को गंभीर और चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में पशुपालन और वन विभाग को तुरंत कदम उठाकर बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए माकूल इंतजाम करने चाहिए। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब राज्य के विभिन्न हिस्सों से बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं, जिससे लोगों में खौफ का माहौल बन गया है।
Gehlot ने गुरुवार रात जारी एक बयान में कहा कि बर्ड फ्लू के फैलने की घटनाएं जैसलमेर और अब भरतपुर से सामने आई हैं। यह घटनाएं इस समय में हो रही हैं, जब प्रवासी पक्षियों का राजस्थान आना शुरू हो गया है। इन पक्षियों के साथ विभिन्न वायरस जनित रोग भी आ सकते हैं, जिससे राज्य में जानवरों और इंसानों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
बर्ड फ्लू का इंसानों में फैलने का खतरा
Gehlot ने बर्ड फ्लू की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि बर्ड फ्लू का पक्षियों से इंसानों में फैलने का खतरा बना रहता है, जिसके चलते अधिक सावधानी की आवश्यकता है। उनका कहना था कि राज्य के पशुपालन और वन विभाग को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और उचित कदम उठाने चाहिए ताकि इस वायरस के प्रभाव को कम किया जा सके और लोगों को सुरक्षित रखा जा सके।
Gehlot ने विशेष रूप से यह भी कहा कि राज्य सरकार को इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए विशेष उपाय करने चाहिए। पशुपालन और वन विभाग के अधिकारियों को इस मुद्दे पर तुरंत एक्शन लेने की आवश्यकता है, ताकि कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न न हो सके।
राजस्थान में बर्ड फ्लू के फैलने की घटनाएं
राजस्थान में बर्ड फ्लू के फैलने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो राज्य की स्वास्थ्य स्थिति के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। दिसंबर 2024 में, फलौदी जिले के खींचन क्षेत्र में प्रवासी पक्षी कुरजां में बर्ड फ्लू का पहला मामला सामने आया था। इस घटना के बाद, खींचन गांव को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था ताकि वायरस के फैलने का खतरा रोका जा सके। इसके बाद जैसलमेर और अब भरतपुर से भी बर्ड फ्लू के मामलों की खबरें सामने आई हैं।
इन घटनाओं से यह साफ हो गया है कि बर्ड फ्लू जैसे संक्रामक रोग तेजी से फैल सकते हैं, खासकर जब प्रवासी पक्षी राज्य में आते हैं। इस दौरान पक्षियों के बीच वायरस का प्रसार और साथ ही मनुष्यों तक संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है।
प्रवासी पक्षियों के कारण बढ़ता खतरा
राजस्थान में हर साल ठंड के मौसम में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। इन पक्षियों के साथ विभिन्न प्रकार के वायरस भी आ सकते हैं, जो पक्षियों के अलावा इंसानों को भी संक्रमित कर सकते हैं। इन पक्षियों से बर्ड फ्लू जैसे वायरस के फैलने का खतरा बहुत अधिक होता है। खासकर जब बर्ड फ्लू के मामलों की पुष्टि होती है, तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन हर संभव कदम उठाकर संक्रमण को फैलने से रोके।
Gehlot ने कहा कि इस समय प्रवासी पक्षियों का आना और बर्ड फ्लू के मामलों का बढ़ना चिंता का विषय है, और इसे तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए राज्य सरकार को जरूरी कदम उठाने चाहिए। इसके लिए एक मजबूत निगरानी और संक्रमण नियंत्रण प्रणाली की आवश्यकता है।
बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
Gehlot ने अपने बयान में बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की सलाह दी। उनके मुताबिक, सरकार को पहले तो बर्ड फ्लू के फैलने वाले क्षेत्रों में तुरंत संक्रमण नियंत्रण उपायों को लागू करना चाहिए। इसके अलावा, पशुपालन विभाग और वन विभाग को बर्ड फ्लू के मामलों की निगरानी में तेजी लानी चाहिए, ताकि कोई भी संभावित संक्रमण जल्दी पकड़ा जा सके और उसका उपचार शुरू किया जा सके।
Gehlot ने यह भी कहा कि सरकारी मशीनरी को इन क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि लोग वायरस के प्रसार के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकें और उसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा सकें। इसके अलावा, बर्ड फ्लू के मामलों को लेकर कड़े एहतियात बरतने की आवश्यकता है, जैसे कि प्रभावित क्षेत्रों में पक्षियों की आवाजाही पर रोक लगाना, बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों का शिकार करने से बचना, और बर्ड फ्लू के लक्षण दिखने पर तुरंत पशु चिकित्सकों से संपर्क करना।
पर्यटकों पर पाबंदी और स्थानीय प्रशासन की भूमिका
Gehlot: जब बर्ड फ्लू के मामलों की पुष्टि हुई थी, तो खींचन गांव में पर्यटकों पर पाबंदी लगा दी गई थी। यह कदम संक्रमण के फैलने से बचने के लिए जरूरी था। Gehlot ने इस बात को महत्वपूर्ण माना और कहा कि ऐसी स्थिति में स्थानीय प्रशासन की भूमिका अहम हो जाती है। प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक नियंत्रण उपाय लागू हों और कोई भी व्यक्ति या पर्यटक बिना किसी सुरक्षा उपाय के वहां न जाए।
Read More: Sonia Gandhi का द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर बयान: ‘राष्ट्रपति थक गई थीं’