PM Modi के महाकुंभ दौरे पर विपक्ष के सवाल, क्या है कारण?

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PM Modi का महाकुंभ दौरा: विपक्ष क्यों उठा रहा है सवाल?

PM Modi ने 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला का दौरा किया। जहां उन्होंने त्रिवेणी संगम पर स्नान किया और पूजा-पाठ किया। यह दौरा राजनीतिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण रहा, लेकिन अब विपक्ष इस दौरे को लेकर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने तीर्थाटन का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की। इस लेख में हम PM Modi के महाकुंभ दौरे पर विपक्ष के सवालों और इस पर उठने वाले राजनीतिक विवाद पर चर्चा करेंगे।

PM Modi का महाकुंभ दौरा: धार्मिक और राजनीतिक संदेश

PM Modi का महाकुंभ मेला दौरा भारतीय राजनीति और संस्कृति के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। महाकुंभ मेला एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं। इस समय का चुनाव PM Modi के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि यह मेला उत्तर प्रदेश में हो रहा है, जो 2022 में विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा था। PM Modi का इस अवसर पर महाकुंभ में भाग लेना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना गया।

त्रिवेणी संगम पर PM Modi का स्नान और पूजा-पाठ न सिर्फ आध्यात्मिक महत्व रखता था, बल्कि यह संदेश भी था कि केंद्र सरकार भारतीय संस्कृति और धार्मिक विश्वासों का सम्मान करती है। प्रधानमंत्री ने कुम्भ मेला में पहुंचकर संतों और श्रद्धालुओं से संवाद किया, जिससे यह साफ था कि वह भारतीय धार्मिक आस्थाओं से जुड़ाव दिखाना चाहते थे।

विपक्ष का आरोप: तीर्थाटन का राजनीतिक उपयोग

जहां PM Modi के महाकुंभ दौरे को भाजपा और उनके समर्थक एक धार्मिक और आध्यात्मिक कदम मान रहे हैं, वहीं विपक्ष ने इसे तीर्थाटन का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश बताया है। विपक्ष का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने धार्मिक स्थलों का दौरा किया, ताकि वे यूपी में होने वाले चुनावों में वोटों की राजनीति कर सकें। उनका कहना है कि चुनावी तारीखों के नजदीक PM Modi का महाकुंभ में जाना एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है, ताकि वह हिंदू मतदाताओं को आकर्षित कर सकें।

कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दलों ने यह आरोप लगाया है कि PM Modi ने दिल्ली चुनाव के मतदान के दिन महाकुंभ में अपने धार्मिक संबंधों को सार्वजनिक रूप से दिखाया, जो उनके लिए एक प्रकार से चुनावी प्रचार का तरीका बन गया। उनका कहना था कि चुनावी मौसम में धर्म को राजनीति के साथ मिलाना एक गलत प्रैक्टिस है, जो लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।

क्या है भाजपा का पक्ष?

भाजपा इस दौरे को पूरी तरह से धार्मिक दृष्टिकोण से देख रही है। पार्टी का कहना है कि PM Modi ने महाकुंभ मेला का दौरा किया क्योंकि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक महत्व का आयोजन है। भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री ने चुनावों के बारे में सोचते हुए यह कदम नहीं उठाया, बल्कि यह उनके सांस्कृतिक जुड़ाव को दिखाने का एक तरीका था।

भाजपा के प्रवक्ता और नेताओं का कहना है कि PM Modi का यह कदम हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में था, और यह पूरी तरह से आध्यात्मिक यात्रा थी। पार्टी का यह भी कहना था कि PM Modi सरकार ने हमेशा धर्म और संस्कृति को सम्मान दिया है, और इस तरह के आयोजनों में भाग लेना एक साधारण धार्मिक कर्तव्य है, जिसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या है महाकुंभ का धार्मिक और राजनीतिक महत्व?

महाकुंभ मेला भारतीय हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है, जिसे हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। यह मेला प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आयोजित होता है, जहां करोड़ों श्रद्धालु स्नान करने और पवित्र तिथियों पर पूजा करने के लिए जुटते हैं। यह मेला केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक महत्व भी रखता है। महाकुंभ के आयोजन के दौरान विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव दिखाने का प्रयास करते हैं।

यहां तक कि भारतीय राजनीति में महाकुंभ का अपनी एक खास जगह है, क्योंकि यह आयोजन यूपी और अन्य राज्यों के चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने में भी सक्षम हो सकता है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में, जहां हिन्दू मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है, धार्मिक स्थलों पर नेताओं का दौरा राजनीति का हिस्सा बन जाता है।

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